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साधु चित्त चिंता को भी चिंतन में परिवर्तित कर देता है- साध्वी ऋतुम्भरा

जब मन ईश्वर में ईश्वर के चिंतन में लग जाता है तो वह जीवन को उपहार समझने लगता है

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—–

उड़ीसा के बालासोर जिले में बहानागा बाजार में हुए ट्रेन हादसे में दिवंगतों का दी श्रद्धाजंलि

इंदौर । चूल्हे की आग सीमा में रहकर भोजन पकाती है और वह अपनी सीमा सीमा लांघ जाती है तो घर जला देती है। आज किसी दुर्योधन या दुशासन की जरूरत नहीं आज तो पाश्चात्य संस्कृति ही हमें अपनी चपेट में ले रही है। आतताईयों का कोई लिंग नहीं होता वे पुरुष भी हो सकते है और महिला भी इनके साथ समान व्यवहार ही उचित होता है। जिस प्रकार एक डॉक्टर मरीज को मरीज की तरह ही देखता उसी प्रकार भगवान राम ने भी बगैर भेद भाव के अपने भक्तों को शरण देकर उनकी रक्षा की। उसी तरह एक साधु भी सभी के कल्याण की सोचता है। निषाद, केवट, सबरी व वनवासियों सभी के राम थे। जीवन में जिस प्रकार से हमारे नित्य कर्म बाहरी प्रक्रिया होती हैं उसी तरह परमात्मा की भक्ति आंतरिक प्रक्रिया होनी चाहिए। उक्त बात श्री चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ क्षेत्र में आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस शनिवार को साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने भक्तों व श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करवाते हुए व्यक्त किए। व्यासपीठ का पूजन रामेश्वर गुड्डा पटेल एवं परिवार द्वारा किया गया। शनिवार को श्रीराम कथा में कैलाश विजयवर्गीय, चिटू वर्मा सहित हजारों की संख्या में भक्तों ने श्रीराम कथा का श्रवण किया।

श्री पुंजराज पेटल सामाजिक सेवा समिति एवं श्रीराम कथा आयोजक रामेश्वर गुड्डा पटेल ने बताया कि देपालपुर श्री चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ में साध्वी देपालपुर चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ क्षेत्र में जारी श्रीराम कथा में देपालपुर की जनता के साथ ही आसपास के 150 से अधिक गावों के भक्त व श्रद्धालु भी कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं।

साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने कथा में कहा कि लक्ष्मी यानी धन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यदि लक्ष्मी को पाना है तो नारायण की उपासना करनी चाहिए क्योंकि लक्ष्मी नारायण के साथ ही आती है और जो लक्ष्मी नारायण के साथ आती है वह धर्म और सृष्टि का कल्याण करती है और जो लक्ष्मी की उपासना करते हैं तो लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर आती हैं जो विनाश ही करती है। उन्होंने कहा कि संस्कार व्यक्ति की पहचान होते हैं। बच्चों में संस्कार माता-पिता से आते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने मन को ईश्वर के चिंतन में लगाना चाहिए क्योंकि हमारा मन ही है जो जीवन को भार समझने लगता है लेकिन जब मन ईश्वर में ईश्वर के चिंतन में लग जाता है तो वह जीवन को उपहार समझने लगता है।

दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि

श्री चौबीस अवतार मंदिर में जारी श्रीराम कथा के समापन अवसर पर उड़ीसा के बालासोर जिले में बहानागा बाजार में हुए रेल हादसे में दिवंगतो को दो मिनट का मौन रख श्रद्धानजली दी गई साथ ही घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्राथना भी की गई।

कैलाश जी ने जमाया रंग

श्रीराम कथा में शनिवार को भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी कथा का श्रवण करने श्री चौबीस अवतार मंदिर देपालुपर पहुचे थे उन्होंने भी सभी भक्तों ओर दीदी मा साध्वी ऋतुम्भरा के सानिध्य में भजन की प्रस्तुति भी दी। जिसे सुन सभी श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए।

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