आठ दिवसीय जैनत्व बाल संस्कार शिक्षण शिविर
संस्कारों की पाठशाला में बच्चे सीख रहे जैनत्व के संस्कार
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—-
इन्दौर । सम्यगज्ञान तो वह दिवाकर है जो मोह के घने अंधकार को दूर कर आत्मा को अपूर्व आभा से प्रकाशित कर देता है, ज्ञान तो वह सुधाकर है जो आत्मा की अनमोल निधि का, आत्मा के अनंत सौंदर्य का साक्षात्कार कराता है। ऐसी अनमोल ज्ञान को पाने का, विकसित करने का प्रमुख स्त्रोत है संस्कार शाला व धार्मिक पाठशाला। उक्त विचार साधना नगर स्थित श्री पंच बालयति एवं विहरमान बीस तीर्थकर जिनालय में आयोजित संस्कारों की पाठशाल में विद्ववतजनों ने बच्चों को जैनत्व शिक्षण शिविर में व्यक्त किए। विद्ववत जनों ने आगे कहा कि बच्चों के जीवन का मार्ग प्रशस्त करने वाली ऐसी शालाओं में बाल्यवय से ही बच्चों को भेजें ताकि उनका जीवन में कल्याण हो सके।
श्री दिगम्बर जैन कुन्दकुन्द परमागम ट्रस्ट (साधना नगर) एवं जैनत्व बाल संस्कार शिक्षण शिविर अध्यक्ष विजय बडज़ात्या, मीडिया प्रभारी महावीर जैन एवं शिविर संयोजक पं. तेजकुमार गंगवाल ने बताया कि जैनत्व बाल संस्कार शिक्षण शिविर साधना नगर जिनालय, चंद्रप्रभु मांगलिक भवन अंजनी नगर एवं फॉरचून किड्स प्री स्कूल शिक्षक नगर मे19 मई तक आयोजित किया जा रहा है।
महामंत्री सुशील काला ने बताया कि साधना नगर एयरपोर्ट रोड़ स्थित पंचबालयति जिनालय पर आयोजित जैनत्व बाल संस्कार शिक्षण शिविर का यह 23 वां वर्ष है। तीनों स्थानों पर आयोजित यह शिक्षण शिविर में बच्चों को संस्कारित करने हेतू पं. रितेश शास्त्री सनावद, पं. अशोक मांगुलकर राघौगढ व अन्य विद्वतगणो में पं. सौरभजी शास्त्री, प गौरवजी शास्त्री, पं. अशोकजी शास्त्री उज्जैन सहित अनेक स्थानीय विद्वान संस्कार, संस्कृति व धर्म का ज्ञान दे रे हैं। वहीं इसी के साथ बड़ो के लिए प्रोढ कक्षा पं. अशोकजी मांगुलकर एवं पं. सौरभजी शास्त्री द्वारा ली जा रही है।