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जो क्रिया हमें भगवान से जोड़ दे वह पुण्य और जो अलग कर दे वह पाप–केदारनाथ महाराज

जीव सभी वस्तुओं को अलग-अलग स्वरूप में देखता है,

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट : —–

मां आनंदमयी पीठ पर चल रहे मातृ जन्मोत्सव में संत-विद्वानों के प्रवचनों की अमृत वर्षा जारी

इंदौर। जीव सभी वस्तुओं को अलग-अलग स्वरूप में देखता है, लेकिन यदि सबको एक ही अर्थात एकात्म दृष्टि से देखे तो यह भगवान की दृष्टि हो जाती है। जो क्रिया हमें भगवान से जोड़ दे वह पुण्य और जो अलग कर दे वह पाप। बुद्धि के ज्ञान से वांछित समाधान नहीं मिलता। स्वयं का अनुभव होने पर ही सही समाधान होता है। अपने को पाना ही भगवान को पाना है और स्वयं को जानना ही भगवान को जानना है, यह अदभुत चिंतन है। अपनी सत्ता को परमात्म सत्ता में विलय करना सबसे महत्वपूर्ण है। पुरुषार्थ उसे नहीं कहते, जो हम अपने स्वार्थ के लिए या अपनी जीविका के लिए करते हैं, बल्कि सही पुरुषार्थ वह है, जो हम भगवान के लिए करते हैं।

श्रीश्री माता आनंदमयी पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी केदारनाथ महाराज के, जो उन्होंने रविवार को पीठ पर चल रहे 128वें मातृ जन्म महोत्सव में मातृवाणी की व्याख्या करते हुए वेदांत सम्मेलन में व्यक्त किए। महोत्सव का शुभारंभ महामंत्र संकीर्तन, मंगला आरती, ध्यान, मां वैष्णोदेवी, हनुमानजी और भैरवजी के अभिषेक-पूजन तथा महिला भक्त मंडली द्वारा अष्टोत्तर शतनाम पाठ एवं मां चालीसा के साथ हुआ। आश्रम परिवार की ओर से स्वामी परिपूर्णानंद, स्वामी कृष्णानंद, पूजा मित्तल, सीमा अग्रवाल, अनिता मित्तल आदि ने सभी अतिथि संतों का स्वागत किया। वेदांत सम्मेलन में हरियाणा से आए आदर्श महामंडलेश्वर स्वामी विरागानंद, अमरकंटक से आए स्वामी योगेश्वरानंद, काशी से आए ब्रह्मचारी जयेश्वर एवं उज्जैन से आए स्वामी परमानंद एवं स्वामी दिव्यानंद और वृंदावन से आए स्वामी केशवानंद ने भी अपने प्रभावी विचार व्यक्त किए। सभी विद्वानों ने आत्म साक्षात्कार, जीव और ब्रह्म की एकता, वृत्ति ज्ञान और स्वरूप ज्ञान, ब्राह्माकार वृत्ति एवं चिदाभास आदि विषयों पर अपनी बात रखी। संचालन स्वामी कृष्णानंद ने किया। तीर्थ क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष माखनसिंह चौहान एवं राज्य खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने भी वेदांत सम्मेलन में पहुंचकर संतों का स्वागत किया।
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