वन स्टॉप सेंटर पर्याय बना रिश्तों को बचाने का

सफ़लता की कहानी
पुनीता पति राजेश ने OSC पर आवेदन किया और प्रशासक डॉ वंचना सिंह परिहार ने बताया कि पति शराब पीकर गली गलौज करता है। मुझ पर शक करता है। सास ने भी पहले हमेशा ताने दिए, अब मैं उनसे बात नहीं करती। तब पति मुझे बुरा भला कहता है।
बेटी ने भागकर प्रेम विवाह किया उसके लिए मुझे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। में 20 साल से प्रताड़ना सह रही हूं अब सहन नहीं होता। मुझे नही रहना पति के साथ।
उसे सांत्वना देकर पूछा गया
की आप क्या कार्यवाही चाहती हैं?उसे बताया गया की वन स्टॉप सेंटर उसे किस किस तरह से मदद कर सकता है, इसकी सविस्तार जानकारी दी।कानूनन अधिकार के बारे में भी बताया गया।हर पत्नी की तरह पुनीता का भी जवाब था की मुझे मेरे रिश्ता नही तोड़ना, अब कहां जाऊंगी?बेटे की शादी होना बाकी है। मेरे मां बाप भी बूढ़े हो गए हैं।
पर अब मुझसे सहन नहीं होता।
तब उसे पति के साथ परामर्श की बात पूछी गई जिस पर उसने तुरंत यह कहते हुए हामी भर दी की मैडम अगर मेरा पति थोड़ा भी सुधर जाए तो मेरा जीवन सुधर जाएगा। फिर प्रकरण परामर्शदात्री सुश्री अल्का जी के पास भेजा गया ,
फिर पुनीता के पति राजेश को OSC पर बुलाया गया। कथन होने के बाद उसका भी पक्ष सुना गया। कुछ बातें राजेश की भी सही थी पर वह उसे पत्नी पर शक करने , उसे अपशब्द कहने या की हर बात का जिम्मेवार ठहराने का अधिकार कतई नहीं देती। जो गलत है वह गलत है।
दोनो का संयुक्त परामर्श सत्र हुआ।
परामर्श के दौरान राजेश ने अपनी पीड़ा बताई की मेरी मां, भाई किसी से भी मेरी पत्नी कोई व्यवहार नही रखती। मैं अटाले का काम करता हूं, सुबह 5 बजे उठ कर घूमने जाता हूं, पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, उससे कहता हूं साथ चले नही च्वलती।
चाय भी मैं ही बनाता हूं, 7 बजे घर से निकल जाता हूं। दिन भर मैं घर से बाहर रहता हूं तो बच्चों का ध्यान तो इसे ही रखना होगा।
बोला की जैसे भी हो में घर चला रहा हूं, तो जिद करके फैक्ट्री में नौकरी की, वहां किसी से रोज घर आकर बात करती थी। कंट्रोल का 100 किलो गेहूं उस आदमी को से दिया, मुझे बताया नही कहने लगी उससे पैसा लिया था।
दोनों की पीड़ा चर्चा से हल्की हुई।
आने वाले समय में व्यवहार में क्या परिवर्तन दोनो को लाना होगा इस पर सहमति बनी।राजेश को ताकीद की गई की पत्नी को चरित्र पर ताने देना, उसे कम करने से रोकना गलत है। हाथ तो किसी भी परिस्थिति में न उठे।अन्यथा पत्नी के चाहने पर कार्यवाही हो सकती है।पुनीता को भी अपने व्यवहार में सही गलत का निर्णय स्वयं करने की बात कही गई। पति से छुपा कर कोई कार्य न करे, ससुराल पक्ष से पुनः बातचीत और व्यवहार रखे जिससे पति भी दुखी न हो। वैसे भी ससुराल पक्ष दूर गांव में रहता है, कहां तुम्हारे बीच आ रहे। पुनीता शांत होकर हंसते हुए पति के साथ घर रवाना हुई।