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शिव का नाम ही कल्याण का सूचक- भास्करानंद जी

सात दिवसीय शिव पुराण कथा शुरू – शोभायात्रा के साथ हुआ शुभारंभ

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—-

इंदौर। शिव भारतीय समाज के प्रथम देव और महादेव माने जाते हैं। शिव का नाम ही कल्याण का सूचक है। शिव इतने सहज और सरल देव हैं, जो केवल जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सृष्टि में जो कुछ भी होता है, वह शिव की लीला का ही प्रतिफल होता है। हमारे सभी वेद और उपनिषद बिना किसी भेदभाव के प्राणी मात्र के प्रति मंगल भाव रखते हैं। शिव पुराण की कथा वह कथा है जिसे सुनने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं।

            वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के, जो उन्होंने अग्रवाल संगठन नवलखा क्षेत्र द्वारा आनंद नगर स्थित आनंद मंगल परिसर में शिव पुराण कथा के शुभारंभ सत्र में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व शिवमोती नगर स्थित शिव मंदिर से आनंद मंगल परिसर तक दिव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। बैंडबाजों, ढोल-ताशों, भजन एवं गरबा मंडलियों सहित निकली ।शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने भजनों पर नाचते-गाते हुए भाग लिया। मार्ग में अनेक स्थानों पर शोभायात्रा, शिवपुराण एवं बग्गी में सवार आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत सम्मान भी किया गया । पार्षद  मृदुल अग्रवाल एवं मनीष शर्मा (मामा) के आतिथ्य में प्रमुख यजमान अतुल शांतिलाल अग्रवाल एवं योगेश –यश गोयल ने सर्वप्रथम शिवपुराण का पूजन किया। संजय हाईवे एवं सुरेश रामपीपलिया ने बताया कि शिवपुराण कथा 30 अप्रैल तक प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक होगी। इस दौरान विभिन्न उत्सव भी मनाए जाएंगे।

            शिव पुराण कथा की महिमा बताते हुए आचार्य महामंडेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि इस सृष्टि में जो कुछ है, वह रूद्र का ही स्वरूप है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें इतने सुदृढ़ संस्कार दिए हैं कि आज भी हमारी सनातन संस्कृति जस की तस है। हमारा देश आज भी अध्यात्म के रंग में रंगा हुआ है। हमारे शास्त्रों का संदेश और भाव यही  है कि हम जीवन के अंतिम क्षणों तक सदकर्म करते रहें। हमारे वेद और उपनिषद भी सबके प्रति बिना किसी पक्षपात और भेदभाव के मंगल एवं कल्याण का भाव ही रखते हैं। शिव का पहला अर्थ है कल्याण। धर्म और कल्याण एक-दूसरे के पूरक हैं।

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