शील और शौर्य का अदभुत समन्वय है हनुमान चरित्र में :- जगदगुरू स्वामी रामनरेशाचार्य
गीता भवन में के सानिध्य में हनुमान प्राकट्य महोत्सव में हो रहे विभिन्न अनुष्ठान

इंदौर, । प्रेम का मूल ज्ञान है और ज्ञान का मूल सत्संग। सत्संग से ही मनुष्य को विवेक की प्राप्ति होती है। सत्य का चिंतन और आचरण मनुष्य को सही दिशा में प्रवृत्त करता है। मर्यादा जीवन को संस्कारित और मर्यादित रखने का आभूषण है। सत्य मनुष्य को निर्भय बनाता है। सत्य ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है। सत्य का ज्ञान नहीं होने से ही समाज अंध परंपराओं का शिकार हो रहा है। प्रभु राम सत्य के साथ मर्यादा के भी पर्याय हैं। हनुमानजी को प्रभु राम का सत्संग मिला तो उनमें भी ईश्वरीय गुणों का दर्शन होता है। हनुमानजी दास हैं, लेकिन दास होते हुए भी भगवान हो गए, यही हमारी भारत भूमि का सबसे उजला पक्ष है कि यहां भक्त भी भगवान हो सकते हैं। शील और शौर्य का समन्वय हनुमानजी के जीवन चरित्र में देखने को मिलता है।
जगदगुरू रामानंदाचार्य, श्रीमठ काशी पीठाधीश्वर स्वामी श्री रामनरेशाचार्य महाराज ने गीता भवन में चल रहे हनुमान प्राकट्य महोत्सव की धर्मसभा में उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के संरक्षक गोपालदास मित्तल, संयोजक विष्णु बिंदल, संजय मंगल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, राम ऐरन, रामविलास राठी, राजेश गर्ग, शिव जिंदल, विनय जादौन आदि ने जगदगुरू स्वामी रामनरेशाचार्य का स्वागत किया। संचालन संजय मंगल ने किया। अपने आशीर्वचन में स्वामी रामनरेशाचार्य ने कहा कि जीवन का परम आनंद सत्य में ही है। सत्य में ईश्वर का वास होता है। धर्मग्रंथों में भी यह बात कही गई है। व्यक्ति को कोशिश करना चाहिए कि सत्य का आश्रय लेकर चले। प्रभु श्रीराम ने कहीं भी असत्य का आचरण नहीं किया। हमारे जीवन में माता-पिता से लेकर अन्य जितनी भी भूमिकाएं हैं, उन्हें कर्तव्य और सत्य निष्ठा के साथ निभाना चाहिए। तन, मन और लगन से निभाए गए दायित्व ही पुण्य हैं और जहां हम अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों की उपेक्षा करते हैं, वह पाप कर्म होता है। हनुमानजी दास होते हुए भी प्रभु राम के सानिध्य में रहे, इसीलिए उनमें भी ईश्वरीय गुण आ गए। हनुमानजी शील और शौर्य के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
महोत्सव के कार्यक्रम – कार्यक्रम संयोजक विष्णु बिंदल एवं संजय मंगल ने बताया कि जगदगुरू स्वामी रामनरेशाचार्य के सानिध्य में इस महोत्सव में सोमवार से प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक भक्तों द्वारा आचार्यश्री का पूजन, सुबह 11 से 12 बजे तक आध्यात्मिक शंका समाधान, दोपहर 4 बजे से सायं 6.30 बजे तक श्रीराम एवं हनुमत कथा, सायं 6.30 से 7.30 बजे तक रामजी और हनुमानजी की आरती जैसे आयोजन होंगे, जिनमें देश के अनेक विद्वान भी शामिल होंगे। आयोजन में मन कामेश्वर कांटाफोड़ मंदिर समिति एवं जगदगुरू रामानंदाचार्य आध्यात्मिक मंडल के साथ ही गीता भवन ट्रस्ट की सहभागिता भी सुनिश्चित की गई है। हनुमान जयंती पर प्रतिवर्ष की परंपरा के अनुरूप यह दिव्य आयोजन हो रहा है। कोरोना काल के दो वर्षों को छोड़कर पिछले लगभग 11 वर्षों से निरंतर यह महोत्सव गीता भवन में होते आ रहा है।