धार जिले के समस्त ग्रामों एवं शहरों के लिए निषेधाज्ञा लागू

धार से शाहिद पठान की रिपोर्ट।
जिला दंडाधिकारी श्री प्रियंक मिश्रा ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 (2) एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में निहित प्रदत शक्तियों के तहत धार जिले में निवासरत् आम नागरिकों/बच्चों के जीवन सुरक्षा को
दृष्टिगत रखते हुए केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण एवं सर्वाेच्च न्यायालय के द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों के क्रियान्वयन हेतु 16 मार्च से आगामी आदेश तक जिला धार के समस्त ग्रामों एवं शहरों के लिए निम्नानुसार निषेधाज्ञा लागू किए जाने का आदेश जारी किया है। आदेश के तहत भूमि/परिसर के मालिक को बोरवेल/ट्यूबवेल के निर्माण के लिये कोई भी कदम उठाने के पूर्व कम से कम 15 दिवस पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में संबंधित ग्राम पंचायत की ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति तथा नगरीय क्षेत्र में संबंधित नगर पालिका/नगर परिषद् में लिखित सूचना देना अनिवार्य होगा। सरकारी/अर्द्ध-सरकारी/निजी आदि सभी ड्रिलिंग एजेंसियों को बोरवेल/ट्यूबवेल हेतु पंजीकरण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से कराना अनिवार्य होगा। कुऐ के पास निर्माण के समय कुऐ के निर्माण/पुनर्वास के समय ड्रिलिंग एजेंसी का पूरा पता दूरभाष नम्बर सहित, उपयोगकर्ता एजेंसी / कुऐ के मालिक का पूरा पता दूरभाष नम्बर सहित विवरण के साथ साईन बोर्ड लगाना अनिवार्य रहेगा। निर्माण के दौरान कटीले तार की बाड़ लगाना या कुऐ के चारों ओर कोई अन्य उपयुक्त अवरोध लगाना होगा। इसी प्रकार कुऐ के आवरण के चारों ओर 0.50ग्0.50ग्0.60 मीटर (जमीनी स्तर से 0.30 मीटर ऊपर और जमीनी स्तर से 0.30 मीटर नीचे) मापने वाले सीमेंट/कांक्रीट प्लेटफार्म का निर्माण कराना होगा। बेल्डिंग, स्टील प्लेट द्वारा वेल असेंबली की कैपिंग या बोल्ट और नट्स के साथ कैंसिंग पाईप को एक मजबूत कैप प्रदान किया जाएगा। पम्प की मरम्मत के मामले में नलकूप को खुला नहीं छोड़ा जाएगा। काम पूरा होने के बाद मिट्टी के गड्ढों और नालियों को भरा जाएगा। परित्यक्त बोरवेल को मिट्टी/रेत/बोल्डर/कंकड/ ड्रिल कंटिंग आदि से नीचे से जमींनी स्तर तक भरा जाएगा। किसी विशेष स्थान पर ड्रिलिंग कार्य पूरा होने पर, ड्रिलिंग शुरू होने से पहले की जमींनी स्थिति को बहाल किया जाएगा। जिला दंडाधिकारी श्री मिश्रा ने समस्त अनुभाग के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) प्रत्यायोजित प्राधिकारी को यह सत्यापित करने के लिए अधिकृत किया जाता है कि उपरोक्त दिशा निर्देशों का पालन करवाना सुनिश्चित किया है। संबंधित राज्य/केन्द्र सरकार की एजेंसियों के माध्यम से बोरवेल / ट्यूबवेल की स्थिति के बारे में समय-समय पर उचित जांच करने, ड्रिल किए गए बोरवेलो/ट्यूबवेलों की, जिला/ब्लॉक गांववार स्थिति, उपयोग में आने वाले कुओं की संख्या, पाये गए परित्यक्त बोरवेलों/नलकूपों की संख्या जमींनी स्तर तक ठीक से भरे हुए परित्यक्त बोरवेलों/ट्यूबवेलों की संख्या और जमींनी स्तर तक भरे जाने वाले परित्यक्त बोरवेलो/ट्यूबवेल की शेष संख्या आदि की जानकारी संबंधित स्थानीय निकाय स्तर पर संधारित किया जावें। यदि किसी बोरवेल/ट्यूबवेल को किसी भी स्तर पर परित्यक्त किया जाता है, तो उपरोक्त एजेंसियों द्वारा भूजल / जनस्वास्थय / नगर निगम/निजी ठेकेदार आदि के संबंधित विभाग से प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाएगा कि परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबवेल ठीक से है। जमींनी स्तर तक भरा हुआ, परित्यक्त कुओं का आकस्मिक निरीक्षण भी संबंधित एजेंसी/विभाग के कार्यपालक द्वारा किया जाएगा। उपरोक्त सभी डाटा की जानकारी जिले के समस्त स्थानीय निकाय द्वारा रजिस्टर में इन्ट्री कर रखी जाने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों की धारा 9(अपप) के अनुसार, यदि यांत्रिक विफलता के कारण मौजूदा कुआँ निष्क्रिय हो जाता है, तो बोरवेलकर्ता/भूमि परिसर के मालिक द्वारा निष्क्रिय कुऐ को ठीक से सील कर दिया जावें तथा इस संबंध में प्रमाण प्रस्तुत किया जावें। अनुविभागीय दण्डाधिकारी बोरवेल उत्खनन की अनुमति आवेदन आने पर संबंधित नगर पालिका / नगर परिषद् / ग्राम पंचायत एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से आवश्यक अभिमत प्राप्त करने के उपरांत ही अनुमति जारी करेंगे। इस आदेश में उल्लेखित किसी भी दिशा निर्देशों का उल्लंघन होने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 188 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।