महाराष्ट्र के सातारा जिले के 10 कृषक उत्पादक संस्थाओं के लिए प्रशिक्षण का समापन
सोया उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं प्रसंस्करण तकनिकी” विषय पर आयोजित प्रशिक्षण सम्पापन

इंदौर, मध्य प्रदेश. अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के अवसर पर आज भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के शुभारम्भ के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का उद्बोधन को कृषि से जुड़े सभी हितग्राहियों में प्रचार-प्रसार हेतु आज भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान में विशेष आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के कर्मचारी तथा सोया-कृषकों समेत कुल 200 प्रतिभागियों ने सहभागिता दी. इसी अवसर पर संस्थान द्वारा विगत 3 दिनों महाराष्ट्र के सातारा जिले के कृषक उत्पादक संस्थाओं के लिए “सोया उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं प्रसंस्करण तकनिकी” विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का सम्पापन हुआ. इसमें महाराष्ट्र के सातारा जिले की 10 “कृषक उत्पादक संस्थाओं” के कुल 46 प्रतिनिधि कृषकों ने भाग लिया.
कृषि विभाग, महाराष्ट्र शासन द्वारा संचालित स्मार्ट परियोजना के अंतर्गत आयोजित इसके समापन सत्र के अवसर संस्थान के निदेशक डॉ के.एच.सिंह तथा संस्थान के तीनों विभागों के अध्यक्ष डॉ अनीता रानी, डॉ महावीर शर्मा एवं डॉ बी.यु. दुपारे तथा स्मार्ट प्रोजेक्ट, कृषि विभाग, सातारा के श्री राजेंद्र गोर्ड़े एवं श्री अजय पोळ उपस्थित थे. इस अवसर पर डॉ सिंह ने कहाँ कि सोयाबीन को अभी तक केवल तिलहनी फसल के रूप में जाना जाता हैं, जबकि इसमें अनेक पोष्टिक तत्व होते हैं जो कि मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी हैं. अतः इसके पौष्टिक गुण, प्रसंस्करण तकनिकी एवं खाद्य पदार्थों को घरेलु तथा लघु-उद्योग स्तर पर निर्माण एवं मार्केटिंग का प्रचार-प्रसार हेतु इस प्रकार के आयोजन किये जा रहे हैं. इससे यह संदेश जाना चाहिए कि तिलहनी फसल के साथ-साथ सोयाबीन एक प्रोटीन युक्त फसल हैं. ऐसा करने से सोयाबीन आधारित खाद्य पदार्थों में देश में खपत बढ़ेगी जिससे मूल्य वृद्धि होने की सम्भावना होगी.
इस कार्यकम में इस बार देश के जाने-माने खाद्य प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ तथा संस्थान के भूतपूर्व निदेशक डॉ जी.एस. चौहान द्वारा प्रशिक्षु कृषकों को बताया गया कि लगभग 30 वर्ष पूर्व किस प्रकार सोया खाद्य पदार्थों को लोकप्रीय करने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रयास किये तथा इसमें आ रही कठिनाइयों का सामना किया. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पंतनगर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में उन्होंने सोया आधारित खाद्य पदार्थों को बनाने की विधियों को मानकीकृत करने में अपना समय बिताया तथा सोया-पनीर एवं सोया-दूध की गुणवत्ता बनाये रखने में अनुसन्धान किया. उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि भारतीय सोयाबिन्ब अनुसन्धान संस्थान द्वारा खाद्य गुणों के लिए उपयोगी कई किस्मों का विकास किया हैं जिनको सीधे घरेलु स्तर पर खाने के उपयोग में लिया जा सकता हैं.
इस अवसर पर इन्कुबेशन केंद्र के प्रभारी डॉ महावीर शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि विगत तिन माह में संस्थान के इन्कुबेशन केंद्र द्वारा महाराष्ट्र के 30 कृषक उत्पादक संस्थाओं के लगभग 150 सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सोयाबीन से बने विभिन्न खाद्य पदार्थ जैसे सोया दूध, सोया-छांछ, सोया श्रीखंड, सोया-पनीर, सोया पकौड़े, सोया हलवा, सोया उपमा आदि के साथ साथ सोया आटा आधारित बेकरी पदार्थ बनाने की प्रसंस्करण तकनिकी बाबत प्रदर्शन सहित जानकारी दी गई. इन खाद्य पदार्थों के प्रदर्शन हेतु संस्थान के इन्कुबेशन केंद्र के श्री योगेश सोहनी, श्री अभिषेक भारती, सुश्री सीमा चौहान तथा श्री दीपक की भूमिका महत्वपूर्ण रहीं हैं. इसके समापन समारोह के अवसर पर प्रशिक्षनार्थी कृषकों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया.
………………………………………