विविध

निरा खोखली है राजनैतिक शुचिता की बातें-डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

राजनीति का धर्म हो चाहे धर्म की राजनीति, भ्रष्टाचार का अंत हो चाहे अंत तक भ्रष्टाचार, लोक का उत्थान हो या स्व उत्थान में लोकाचार का शामिल होना, जन तंत्र की मज़बूती हो चाहे तंत्र की मज़बूती का फ़ायदा लेना, अपराधियों पर नकेल हो चाहे नकेल डालकर अपराध करवाना, संस्कृति के उन्नयन की बातें हों चाहे अपने उन्नयन को सांस्कृतिक ठहराना, सब कुछ किताबों में दर्ज क़िस्सों की तरह या कहें फ़िल्मों में चलते दृश्य के जैसा ही हो रहा है आजकल राजनीति में भी।

जनता का विश्वास तब टूटता नज़र आता है जब भरोसे वाले कन्धे भी दगा देने लग जाते हैं।

ऐसे ही हालातों की शिकार इस समय दिल्ली की जनता भी हो रही है।

एक आन्दोलन चला, जिसका ध्येय भ्रष्टाचार-मुक्त भारत की संकल्पना को मूर्त रूप देना और फिर जन लोकपाल की स्थापना करना था, जनता ने विश्वास किया। दिल्ली में स्थापित राजनैतिक पार्टियों को किनारे करते हुए एक ऐसे राजनैतिक दल को सत्ता सौंप दी, जिसका उदय ही उस समय हुआ जब अन्ना हज़ारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करके देश को जागरुक किया।

सत्ता के हाथ में आते ही आन्दोलन के पुर्जे ही ढीले होने लग गए। आन्दोलन से एकजुट हुए विभिन्न क्षेत्रों के मुखियाओं के बीच सत्ता की रमणिका सुंदरी ने आंदोलनकर्ताओं को सत्ताजीवी बना दिया।

पहली दफ़ा जब दिल्ली ने विश्वास किया, उसके थोड़े समय बाद ही आंदोलनकर्ताओं के बीच से विश्वास गायब हो गया। फिर धीरे-धीरे विश्वास के साथ-साथ योगेन्द्र भी टूटने लगे। और न जाने कितने साथी अलग-थलग होने लग गए। कारण साफ़ है, जहाँ सत्ताजीवी होने का भाव जागृत भी हो जाए तो आन्दोलनजीवी स्वभाव घुटन महसूस करता है। येन-केन-प्रकारेण सत्ता सुख में लिप्त सत्ताधीशों ने कार्यकाल पूरा करके फिर चुनाव में दस्तक दी और जनता को फिर ख़्वाब बेचने शुरु कर दिए। ख़्वाबों का पुलिन्दा थमा कर जनता को नए तरीके से लुभाने की कवायद हुई, जनता फिर झाँसे में आ गई और इस बात पर विश्वास कर लिया कि सत्ताधीशों का ध्येय भ्रष्टाचार मिटाना है, पर कहते हैं न कि जब रणनीति में राजनीति का प्रवेश हो जाता है तो फिर धर्मनीति मृत्यु को प्राप्त कर लेती है। उसी तरह अब लुटियन की दिल्ली में केवल राजनीति रहने लगी है।

राजनीति के चश्मे से देखने पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सत्ता सुन्दरी बहुत आनंद में दिखाई दे रही है, एक तरफ़ दो-दो मंत्री जेल का आनंद ले रहें हैं और मज़े की बात तो यह है कि दोनों ही मंत्रियों पर आरोप भ्रष्टाचार के ही लगे हैं। एक मंत्री पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है तो दूसरे पर सीधे भ्रष्टाचार का ही।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गिरफ़्तार कर जेल यात्रा करवाई है। बताया जाता है कि साल 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इसमें सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। ईडी जिस मामले की जांच कर रही है, वह इसी पर आधारित है।

आरोप है कि प्रयास इंफोसॉल्यूशंस, अकिंचन डेवलपर्स, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स और इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड को 4.63 करोड़ रुपये मिले थे। बाद में जब ईडी ने जांच शुरु की, इन कंपनियों को शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये मिलने का दावा किया। सत्येंद्र जैन का इन कंपनियों पर निदेशक या अधिक शेयर की वजह से नियंत्रण था। इन कंपनियों को शेल बताते हुए तब जांच एजेंसी ने कहा था, इनके पास ये पैसे कहां से आए, सत्येंद्र जैन इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दे सके। ईडी ने ये भी कहा था कि इस धनराशि का उपयोग दिल्ली और उसके आसपास भूमि की ख़रीद को लिया गया कर्ज़ अदा करने के लिए

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!