हमसे हमारा विष लेकर बदले में अमृत देने वाले केवल महादेव -भास्करानंद
इंदौर, । शिव पुराण ऐसी ज्योत है जिसके संपर्क में आने पर हमारे मन के अज्ञान रूपी अंधकार का नाश हो जाता है। संसार में कोई भी जीव ऐसा नहीं है, जो दुख चाहता हो। हर कोई प्रत्येक कर्म सुख पाने की इच्छा से ही करता है। शिव पुराण भगवान शिव की कृपा, करुणा, दया और अपनत्व का भंडार है। भगवान शिव का स्वभाव हमारे पाप कर्मों के शमन का है। शिव के पास अमृत है, जबकि हमारे पास जहर के सिवाय कुछ नहीं। हमसे हमारा विष लेकर बदले में हमें अमृत देने वाले महादेव ही हो सकते हैं।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने सोमवार को गीता भवन सत्संग सभागृह में चल रही शिव पुराण कथा में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती, दीपचंद गर्ग, राजेश गर्ग, सदन चौधरी, शिव जिंदल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
स्वामी भास्करानंद ने विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या के दौरान कहा कि पाप कर्म करने के लिए शक्ति चाहिए लेकिन पुण्य कर्म करने के लिए भक्ति। बिना भक्ति के पुण्य संभव नहीं है। शिव का नाम ही भोले भंडारी है । उनकी शरण में पहुंचने पर बड़े से बड़ा अपराध भी क्षम्य हो जाता है। शिव जितने सरल देव हैं उतना कोई अन्य देव नहीं। रावण को भी उन्होंने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान दे दिया था लेकिन दुरुपयोग करने पर वही वरदान रावण के लिए अभिशाप बन गया और रावण को सर्वशक्ति संपन्न होने पर भी पतन का शिकार होना पड़ा। शिव श्रद्धा है और पार्वती विश्वास। श्रद्धा और विश्वास के दो स्तंभों पर ही यह दुनिया और यहां के सारे रिश्ते टिके हुए हैं।