भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर में हुआ वैज्ञानिक परिचर्चा सत्र का आयोजन

इंदौर, मध्य प्रदेश. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा वैज्ञानिक परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में मुख्य वक्ता जापान अंतर्राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र (जिरकास) के जैविक संसाधनों तथा पोस्ट-हार्वेस्ट डिवीजन के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. नाओकी यामानाका रहे । डॉ यामानाका सोयाबीन में गेरुआ रोग पर काम करने वाले अंतर्राष्टीय स्तर के प्रख्यात वैज्ञानिक है । इस परिचर्चा सत्र में उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा,” वर्तमान में हम विभिन्न क्षेत्रों में सोयाबीन की गेरुआ रोग प्रतिरोधी किस्मों के अनुसंधान और विकास की दिशा में कार्य कर रहे है । इससे पूर्व हमनें सोयाबीन के गेरुआ रोग पर आनुवंशिक अध्ययन तथा जीन मैपिंग में योगदान दिया है । साथ ही हमनें गेरुआ रोग प्रतिरोधीता के कारक “लोसाई” का विवरण एवं आर.पी.पी जीन युक्त “निल्स” की पहचान की है, जिससे सोयाबीन की गेरुआ रोग प्रतिरोधी किस्म के विकास में हमें सहायता मिलेगी”। ज्ञात हो की इससे पूर्व भा.कृ.अनु.प-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संसथान, इंदौर द्वारा जापान के जे.आई.आर.सी.ए.एस (जिरकास) के साथ एम.टी.ए. (मटेरियल ट्रांसफर एग्रीमेंट) भी हस्तांतरित किया जा चूका है, जिसके अंतर्गत जिरकास द्वारा सोयाबीन संस्थान से गेरुआ रोग प्रतिरोधी जीन पिरामिड लाइनों को साझा किया जाना तय है । इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ के.एच. सिंह द्वारा डॉ यामानाका को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । डॉ सिंह द्वारा भविष्य में जिरकास के साथ सामूहिक परियोजना संचालित करने की बात कही गई, जिससे दोनों देशों के बीच और गहरे सम्बंध स्थापित किये जा सकेंगे ।
………………………………………………………..