धर्म-ज्योतिष

दुनिया के किसी भी देश में ऐसी पुण्याई और पवित्रता नहीं कि वहां राम जन्म ले सके

इंदौर। इतिहास साक्षी है कि जिसने भी स्वयं को श्रीराम से जोड़ा है, उसने हनुमान की तरह अदभुत और अनूठे काम किए हैं। भगवान राम के चरित्र में पुरुषार्थ, प्रेम, ममता, समता और एकता के सूत्र दिखाई देते हैं। राम के बिना इस सृष्टि और भारत भूमि की कल्पना करना भी संभव नहीं है। राम और कृष्ण का अवतरण सिर्फ भारत भूमि पर ही हो सकता है, क्योंकि दुनिया के अन्य किसी भी देश की इतनी पुण्याई और पवित्रता नहीं हो सकती।

       मानस मर्मज्ञ पं. अभिषेकानंद महाराज ने आज लोहार पट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीराम कथा में उक्त बातें कहीं। कथा शुभारंभ के पूर्व हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में पं. पवनदास शर्मा, कैलाश पाराशर, जयदीप दुबे, कैलाश गोवला, संत यजत्रदास, अमित दास, सुभाष शर्मा, राजेश शास्त्री, अमित शर्मा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा के दौरान विभिन्न उत्सव भी मनाए जाएंगे। राधा रानी महिला मंडल की बहनों ने आज भी कथा की व्यवस्थाएं संभाली। कथा में दिनोंदिन भक्तो का सैलाब उमड़ रहा है।

पं. अभिषेकानंद ने कहा कि राम इस सृष्टि के कण-कण में व्याप्त हैं। राम और भारत भूमि एक दूसरे के पर्याय हैं। राम का नाम इस देश की सनातन संस्कृति और सार्वभौमिकता से जुड़ा हुआ है। राम ही सत्य हैं और राम ही सनातन भी हैं। राम से बड़ा राम का नाम माना जाता है। राम इस देश के जन-जन के मन में रचे-बसे हैं। राम का नाम ही उस पारसमणि के समान है, जिसके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के कार्य हनुमान की तरह सफल और सार्थक बन जाते हैं।

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