पेंसिल बनकर किसी के लिए सुख नहीं लिख सकते तो रबर बनकर उनके दुख तो मिटा ही सकते हैं – ललितप्रभ

इंदौर, । राष्ट्रसंत ललितप्रभ म.सा. ने कहा कि अगर हम पेंसिल बनकर किसी के लिए सुख नहीं लिख सकते तो कम से कम रबर बनकर उनके दुख तो मिटा ही सकते हैं। घर में खाना बनाते समय एक मुट्ठी आटा अतिरिक्त भिगोएं और सुबह पूजा करते समय 10 रु. दूसरों की मदद के लिए गुल्लक में डालें। एक मुट्ठी आटे की रोटियां तो दुकान जाते समय गाय ओर कुत्तों को डाल दें, और नकद राशि को इकट्ठा होने पर गुल्लक में से किसी बीमार या अपाहिज की मदद में लगा दें। ऐसा करेंगे तो मातृ 9 माह में सारे ग्रह गोचर आपके अनुकूल हो जाएंगे।
संत प्रवर बुधवार रात अन्नपूर्णा रोड स्थित देवेन्द्र नगर के पद्मावती निवास पर आयोजित प्रवचन सत्संग कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रास्ते से गुजरते समय मंदिर आने पर आप प्रार्थना में हाथ जोड़ें और यदि कोई एम्बुलेंस गुजरती नजर आए तो उसके लिए ईश्वर से दुआ करें। संभव है आपकी दुआ उसे नया जीवन दे दे। यदि आप किसी मजदूर से दिनभर मेहनत कराते हैं तो उसका पसीना सूखने के पहले ही उसका मेहनताना जरूर दे दें। किसी के मेहनताने को दबाना हमारे आते हुए भाग्य के कदमों पर दो कील ठोंकने जैसा है।
कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, कांतिलाल बम, सुजान चौपड़ा, पंकज चौरड़िया, पार्षद कंचन गिदवानी, अभिषेक बबलू –स्वाति शर्मा, हुलास गांग, अशोक लोढा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।