इंदौरधर्म-ज्योतिष
श्रद्धा और विश्वास के बिना की गई भक्ति और सेवा निरर्थक ही होगी – भास्करानंद

इंदौर, । सेवा के कई स्वरूप होते हैं, लेकिन दूसरों के दुख दूर करने और उनके आंसू पोंछने से बड़ी और कोई सेवा नहीं हो सकती। भागवत जैसे धर्म ग्रंथ हमें भक्ति और सेवा के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। भगवान बुद्धि से नहीं, भक्ति से मिलेंगे। बुद्धि तर्क करती है और भक्ति विश्वास। श्रद्धा और विश्वास के बिना की गई भक्ति और सेवा भी निरर्थक ही होती है। सेवा निष्काम होना चाहिए।
श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने खजराना पीपल चौक पर पाटीदार समाज एवं घाटीवाला परिवार के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे भा श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन कपिल देवहुति उपाख्यान, सती चरित्र एवं शिव विवाह प्रसंगों पर भक्तों को संबोधित करते हुए उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए।