हम संस्कारित परिवार, सभ्य समाज और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनें, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए – दीनबंधुदास
बिजली नगर स्थित बिजलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ के समापन पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

हम संस्कारित परिवार, सभ्य समाज और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनें, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए – दीनबंधुदास
बिजली नगर स्थित बिजलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ के समापन पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
इंदौर, भगवान की सभी लीलाएं जीव मात्र के लिए कल्याणकारी और शिक्षाप्रद होती हैं। भागवत के पांचवें स्कंध में भी इस बात का उल्लेख है कि भगवान जो अवतार लेते हैं, वह किसी ऐसे प्रयोजन से लेते हैं, जो मानव मात्र के लिए शिक्षाप्रद और प्रेरक हो। हम अपने जीवन में मनुष्य जन्म लेने के बाद विनम्र, सदाचारी और सत्य निष्ठ बनकर एक संस्कारित परिवार, सभ्य समाज और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बन सकें, यही हमारे धर्मग्रंथों का मुख्य उद्देश्य है। कृष्ण-सुदामा की मित्रता इसलिए भी पूरे विश्व में मानी जाती है कि यह राजा और प्रजा, राजमहल और झोपड़ी तथा अमीर और गरीब के मिलन की कथा है। राजा और प्रजा के बीच जिस दिन कृष्ण-सुदामा जैसा प्रेम हो जाएगा, प्रजातंत्र भी सार्थक हो उठेगा।
ये दिव्य विचार हैं मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरू द्वाराचार्य स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य के परम शिष्य, वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी दीनबंधुदास महाराज के, जो उन्होंने शनिवार को बंगाली चौराहा के पास बिजली नगर स्थित बिजलेश्वर महादेव मंदिर परिसर पर चल रहे संगीतमय भागवत ज्ञानयज्ञ में कृष्ण-सुदामा मैत्री प्रसंग और भागवत पूजन के दौरन व्यक्त किए। समापन अवसर पर तीन हजार से अधिक भक्तों ने कतारबद्ध होकर भगवतजी का पूजन किया। कथा शुभारंभ के पूर्व संयोजक अजयसिंह सिकरवार, विशालसिंह सिकरवार, बबली ठाकुर, निरंजनसिंह चौहान, राजेश चौहान, आर्यनसिंह सिकरवार, रमेश यादव, गिरीश पंवार, मनोज यादव, संजू यादव आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। । विद्वान वक्ता की अगवानी बिजलेश्वर महादेव भक्त मंडल की ओर से विशाल ठाकुर, राजेश सचान, अनिश पांडे, राहुल सिंह आदि ने की। कथा समापन पर महामंडलेश्वर स्वामी दीनबंधुदास महाराज ने बिजली नगर में भक्तों के आग्रह पर भ्रमण भी किया। घर-घर से पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया गया। अंत में संयोजक विशालसिंह सिकरवार, अजयसिंह सिकरवार, बबली ठाकुर एवं विशाल ठाकुर ने आयोजन समिति की ओर से उनका अभिनंदन किया। कथा समापन पर पांच हजार से अधिक भक्तों ने भंडारे में प्रसादी का पुण्य लाभ उठाया।
महामंडलेश्वरजी ने कहा कि मन में यदि कोई शुभ संकल्प आए तो उसे मूर्त रूप देने में देरी नहीं करना चाहिए, क्योकि हमारा शरीर और इंद्रियां तमोगुणी हैं, जो शुभ और सकारात्मक विचारों को बहुत जल्द पलट देती है। भगवान से जुड़ा काम हो तो ज्यादा सोचने-विचारने की जरूरत नहीं है। यह याद रखें कि भगवान ही हमें सदकर्मों के लिए प्रेरणा और शक्ति प्रदान करते हैं। भागवत विश्व का ऐसा अनूठा ग्रंथ है, जिसे जितनी बार पढ़ा और सुना जाए, उतनी बार नूतन अनुभूति होती है। हम एक ही फिल्म को और एक ही किताब या पत्र-पत्रिका को दो-तीन बार से ज्यादा नहीं देख-पढ़ सकते, लेकिन भागवत ऐसी कथा है, जिसे सैकड़ों बार सुनने और पढ़ने के बाद भी हमारी प्यास निरंतर बढ़ती चली जाती है। यह प्रमाण है कि भागवत की रचना स्वयं भगवान कृष्ण ने अपनी वाणी से की है और उनकी वाणी का माधुर्य आज पांच हजार वर्षों बाद भी कलियुग होते हुए भी हम सबको आल्हादित बनाए हुए है।