रामकथा में एक भी शब्द आत्मसात किया हो तो रघुनाथ की झोली में अपना एक दुर्गुण जरूर डालें – उत्तम स्वामी
नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आयोजित रामकथा महोत्सव की श्रद्धा निधि हरिद्वार में आश्रम के विकास में लगाने का संकल्प

रामकथा में एक भी शब्द आत्मसात किया हो तो रघुनाथ की झोली में अपना एक दुर्गुण जरूर डालें – उत्तम स्वामी
नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आयोजित रामकथा महोत्सव की श्रद्धा निधि हरिद्वार में आश्रम के विकास में लगाने का संकल्प
इंदौर।राम कथा और ईश्वर के चरित्र कभी समाप्त नहीं होते, इनका विश्राम होता है। इंदौर जैसे देवी अहिल्या के शहर में पूर्वजों द्वारा किए गए संकल्प को आज साकार होते देखकर सबको प्रसन्नता हो रही है। हमारी दृष्टि भले ही रघुनाथ पर नहीं है, लेकिन रघुनाथ की दृष्टि जरूर हम पर है। इस कथा के श्रवण के बाद यदि एक भी शब्द आपको अच्छा लगा हो और अपने जीवन में आत्मसात किया हो तो दक्षिणा के रूप में रघुनाथ की झोली में अपने एक दुर्गुण को छोड़कर जाएं। प्रतिदिन अपने घर पर राम नाम की एक माला का पाठ भी जरूर करें, यह संकल्प भी जरूर लें। इंदौर के वैश्य और अग्रवाल बंधु बड़े उदार मन वाले हैं। यहां इस कथा से प्राप्त होने वाली श्रद्धा निधि का पूरा उपयोग हरिद्वार में बन रहे आश्रम में किया जाएगा। रामकथा कोई चमत्कार नहीं करती, बल्कि हमारे मन और बुद्धि को जरूर सुधारती है। मन सत्य, अहिंसा, परमार्थ, दया और विवेक जैसे सदगुणों को साथ लेकर चले तो निश्चय ही दुर्लभ मानव जीवन धन्य हो उठेगा।
मानस मनीषी महामंडलेश्वर महर्षि प.पू. उत्तम स्वामी महाराज ने कहा कि रामकथा की महत्ता बताते हुए कहा कि भगवान के दर्शन से भी ज्यादा श्रवण का महत्व है। रामकथा का श्रवण हृदय में समर्पण भाव का सृजन करता है। श्रवण से श्रद्धा और श्रद्धा से समर्पण की रचना होती है। आज यदि हम लोग रामकथा में आकर बैठे हैं तो यह हमारे पूर्वजों के शुभाशीष का ही फल है। वे जहां भी हैं, वहां से हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। कथा से चिंतन की दृष्टि मिलती है। जो लोग इस लोकपावनी गंगा को घर-घऱ पहुंचाने का पुण्य प्राप्त कर रहे हैं, उनका यह पुरुषार्थ सचमुच अभिनंदनीय है। जब वाल्मिकी जैसे व्यक्ति को राम राम उल्टा बोलने पर पुण्य मिल सकता है तो हम लोग तो हजारों बार राम राम बोल रहे हैं, इसलिए विश्वास रखें कि हमें भी इसका पुण्य जरूर मिलेगा। हनुमान जैसे समर्पित सहयोगी जिस धर्मयुद्ध में भागीदार बनते हैं, वहां विजय सुनिश्चित होती है। प्रभु श्रीराम ने वनवासी और आदिवासी लोगों को गले लगाकर समाज में अंतिम छोर पर खड़े लोगों के उद्धार का संदेश दिया है, यही राम राज्य का मूल मंत्र है। रामकथा के इतने आयाम हैं कि उन पर कई-कई दिनों तक बोला और सुना जा सकता है फिर भी राम कथा की प्यास कभी बुझ नहीं सकती और यही हमारी भक्ति का जीवंत प्रमाण है।
आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष महेश अग्रवाल, पार्षद मृदुल अग्रवाल, संदीप गोयल आटो, दुर्गेश गर्ग, रामनिवास गुप्ता आदि ने उनका सम्मान किया। कथा शुभारंभ के पूर्व राज्य के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला, नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक गोलू शुक्ला, भाजपा अध्यक्ष सुमित मिश्रा, समाजसेवी टीकमचंद गर्ग, के.के. गोयल, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता उमंग सिंघार, संगठन की ओर से सुनील बड़गोंदा, विवेक निगम, धनंजय शर्मा, सत्यम गुरू, बालमुकुंद अग्रवाल तथा मातृशक्ति की ओर से मनीषा बंसल, पूजा गोयल, सीमा बंसल, अंकिता अग्रवाल, दीप्ति अग्रवाल, सरिता मंगल, नीतू अग्रवाल, दीपा अग्रवाल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों से आए संतों, महंतों के सानिध्य में आयोजन समिति की ओऱ से महामंडलेश्वर महर्षि उत्तम स्वामी का आत्मीय और गरिमापूर्ण सम्मान भी किया गया।