इंदौरधर्म-ज्योतिष

भक्ति के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते – पं. पुष्पानंदन

कैट रोड स्थित हरिधाम आश्रम पर हनुमत महायज्ञ में गूंज रही मंत्रों एवं श्लोकों की ऋचाएं

भक्ति के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते – पं. पुष्पानंदन

कैट रोड स्थित हरिधाम आश्रम पर हनुमत महायज्ञ में गूंज रही मंत्रों एवं श्लोकों की ऋचाएं –कल शाम भंडारा

इंदौर, हनुमानजी का चरित्र और व्यक्तित्व अपने प्रभु श्रीराम की सेवा में सदैव निष्काम भाव से समर्पित रहा है। उनकी सेवा में परमार्थ का ही भाव रहा है। हम जहां भी रहें, सेवक बनकर रहें तो ज्यादा श्रेष्ठ और दूसरों के प्रिय बन सकते हैं। कलयुग में हमारी मनोवृत्ति सेवक बनकर रहने की नहीं, मालिक बनकर अपना रौब जमाने की हो गई है। हनुमानजी ने सेवा को ही अपना मूल मंत्र माना। बुद्धि और बल के समन्वय से की गई भक्ति ज्यादा सार्थक होती है। भक्ति के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते।

ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात मानस मनीषी आचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी के, जो उन्होने गुरुवार को हवा बंगला कैट रोड स्थित हरिधाम पर हनुमत कथा के दौरान व्यक्त किए। कथा श्रवण के लिए हरिधाम परिसर में शहरी क्षेत्र के अलावा आसपास के 25 गांवों के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। प्रतिदिन सुबह हनुमत महायज्ञ में भी यजमान युगल विश्व शांति और जन कल्याण के भाव से आहुतियां समर्पित कर रहे हैं। नवनिर्मित मां यज्ञशाला में परिक्रमा करने के लिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। कथा शुभारंभ के पूर्व आश्रम के अधिष्ठाता महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में डॉ. सुरेश चौपड़ा, प्रकाश अजमेरा, विजयसिंह राणा, टीकमचंद गर्ग, विष्णु बिंदल, सुधीर अग्रवाल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। विद्वान वक्ता की अगवानी मुकेश बृजवासी, गोविंद मंगल, भारत केड़िया, प्रहलाद गर्ग, श्याम भांगड़िया, ओमप्रकाश अग्रवाल, मनोज छापरवाल, रूपेश भूतड़ा ने की। हनुमत महायज्ञ के कारण समूचा हरिधाम परिसर मंत्रों और श्लोकों की ऋचाओं से गुंजायमान बना हुआ है। हनुमान जयंती पर शनिवार, 12 अप्रैल को यहां सुबह 6 बजे जन्मोत्सव आरती के पश्चात अखंड रामायण पाठ की पूर्णाहुति एवं 56 भोग, श्रृंगार दर्शन तथा सांय 7 बजे से भंडारा प्रसादी के आयोजन होंगे।

मानस मनीषी पं. तिवारी ने कहा कि हनुमानजी का व्यक्तित्व और चरित्र इतना विराट है कि उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना किसी भी वक्ता के लिए संभव नहीं है, लेकिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस के माध्यम से जो तस्वीर भारतीय समाज के समक्ष प्रस्तुत की है, वह इतनी अनुकरणीय और वंदनीय है कि उनका चरित्र भी प्रभु श्रीराम की तरह पूरी तरह निर्दोष और बेदाग बन गया है। हनुमान चालीसा की यह विशेषता है कि हम उसे कहीं भी, कभी भी और किसी भी स्थिति में पढ़ें, उसका पुण्य फल अवश्य मिलेगा। हनुमान चालीसा को पढ़ने के लिए किसी नियम, शर्त और बाध्यता से परे रखा गया है। संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान हनुमानजी के पास नहीं हो। सबसे बड़ी बात यह भी है कि हनुमान चालीसा जीव मात्र के लिए फलदायी है, जिसमें जाति, धर्म, लिंग और अन्य किसी भी तरह का भेदभाव नहीं रखा गया है।

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