मातृभाषा की जगह दुनिया की कोई भाषा नहीं ले सकती है, सेंधवा कॉलेज में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित

सेंधवा। वीर बलिदानी खाज्या नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेंधवा में शुक्रवार को अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किया गया था। उक्त कार्यक्रम में विभिन्न बोलियों के माध्यम से प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने अपनी अपनी बात रखी है। डॉ विक्रम जाधव ने बारेली भाषा, डॉ दिनेश कनाडे एवं छात्रा अस्था वर्मा ने निमाड़ी भाषा , छात्रा नंदनी ने अहिरानी भाषा एवं मिनल शर्मा ने हिन्दी भाषा में अपनी अपनी बात रखते हुए यही कहने का प्रयास किया गया कि मातृभाषा का मतलब होता है कि ऐसी भाषा जिसे हम जन्म लेने के बाद सबसे पहले सीखते हैं। मातृभाषा की जगह दुनिया की कोई भाषा नहीं ले सकती है। यह हमारी क्षमताओं को निखारने, भावों की अभिव्यक्ति और विचारों का आदान -प्रदान करने से लेकर हमारे समाज और राष्ट्र के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करती है ।यह सच है कि मातृभाषा ही हमारी असली पहचान है ऐसे में भारत को अगर एकता के सुत्र में बांधना है ,तो हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व की अनुभूति भी करनी होगी । हमारी नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर खास जोर दिया गया और यह स्वीकार किया गया है कि नौनिहालों को मातृभाषा में ही शिक्षित करना फायदेमंद है । अन्ततः यह कहा जा सकता है कि मातृभाषा में शिक्षा देने में सफलता मे मिल सकती है ।जब हम मातृभाषा बोलने में हिचकिचाहट महसूस नहीं करे ।संचालन डॉ राहुल सूर्यवंशी एवं आभार भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ महेश बाविस्कर ने माना ।इस कार्यक्रम में डॉ भोलाराम बाम्हणें सहित विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर भारतीय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अन्तर्गत इंडिया की जगह भारत नाम करने बाबत 10 लाख हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत महाविद्यालय में कि गई ।यह जानकारी डॉ विकास पंडित ने दी ।