पहला जन्म मां की कोख से और दूसरा जन्म यज्ञोपवीतसंस्कार से, ब्राह्मण बटुक शिखा और सूत्र की रक्षा करें
प्राचीन हंसदास मठ पर छह राज्यों से आए 71 ब्राह्मण बटुकों के लिए आयोजित हुआ यज्ञोपवीत संस्कार

पहला जन्म मां की कोख से और दूसरा जन्म यज्ञोपवीतसंस्कार से, ब्राह्मण बटुक शिखा और सूत्र की रक्षा करें
प्राचीन हंसदास मठ पर छह राज्यों से आए 71 ब्राह्मण बटुकों के लिए आयोजित हुआ यज्ञोपवीत संस्कार
इंदौर,। भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में उपनयन संस्कार का विशेष महत्व है। यह ऐसा संस्कार है, जिसके माध्यम से समाज में व्यक्ति को धर्म और देव कार्य करने की पात्रता प्राप्त होती है। इस संस्कार को ब्राह्मण बटुक के दूसरे जन्म की संज्ञा भी दी जा सकती है। पहला जन्म मां की कोख से होता है तो दूसरा जन्म सनातन धर्म की परंपरा के अनुरूप यज्ञोपवीत संस्कार से होता है।
एयरपोर्ट रोड, पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर रविवार को हंसदास मठ एवं विश्व ब्राह्मण समाज संघ के संयुक्त तत्वावधान में देश के 6 राज्यों के 71 बटुकों के यज्ञोपवीत संस्कार अनुष्ठान में आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने उक्त प्रेरक बातें कही। उन्होंने नूतन हंसदास मठ के नौवें स्थापना दिवस के प्रसंग पर आयोजित इस कार्यक्रम में राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात एवं म.प्र. के विभिन्न शहरों से आए बटुकों एवं उनके परिजनों को संबोधित करते हुए यज्ञोपवीत की महत्ता भी बताई। करीब चार घंटे चले इस अनुष्ठान में बटुकों ने आचार्यश्री के निर्देशन में कटिसूत्र, कोपिन, मेखला बंधन, दान, ग्रंथि पूजन, सूर्य दर्शन, मृग चर्म धारण, हृदयाबंध, अनुशासन दीक्षा एवं अंत में महामंडलेश्वरजी से गुरू दीक्षा सहित सभी परंपराओं का पालन भी किया। यज्ञोपवीत की सभी सामग्री हंसदास मठ एवं विश्व ब्राह्मण समाज संघ की ओर से उपलब्ध कराई गई।
कार्यक्रम संयोजक महामंडलेश्वर पं. पवनदास महाराज एवं ब्राह्मण समाज संघ के पं. योगेन्द्र महंत ने बताया कि हंस पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर श्रीमहंत स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में 71 बटुकों ने शास्त्रोक्त विधि से केशाधिवास (मुंडन) सहित विभिन्न परंपराओं का पालन करते हुए अंततः आचार्य पं. वैदिक से अनुशासन दीक्षा एवं हंस पीठाधीश्वर से गुरूदीक्षा के मंत्र भी प्राप्त किए। सांसद शंकर लालवानी ने भी इस अनुष्ठान में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचकर बटुकों के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। प्रारंभ में पं. विवेक शास्त्री, पं. अमित दास, पं.सुरेश पाठक, पं. अशोक चतुर्वेदी, बी.के. शर्मा सहित विभिन्न विद्वानों ने इस समूचे अनुष्ठान में आचार्य पं. वैदिक का सहयोग किया। हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्रीमहंत स्वामी रामचरणदास महाराज ने अपने आशीर्वचन में बटुकों से आग्रह किया कि वे शिखा और सूत्र की रक्षा करें और इस संस्कार के माध्यम से ब्राह्मण धर्म का यथोचित पालन भी करें। विश्व ब्राह्मण समाज संघ के अध्यक्ष पं. योगेन्द्र महंत , सांसद शंकर लालवानी एवं महामंडलेश्वर पं. पवनदास महाराज ने भी बटुकों के प्रति शुभाशीष प्रदान किए।
*हनुमान कथा एवं लक्ष्मीनारायण यज्ञ का शुभारंभ*- मठ पर इसके पूर्व सुबह लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं दोपहर में हनुमान कथा के दिव्य आयोजन का भी शुभारंभ हुआ। हनुमान कथा प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक होगी। इसके यजमान अनंत योगेन्द्र महंत मनोनीत किए गए हैं। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन भी प्रतिदिन सुबह साढ़े 8 से दोपहर 1 बजे तक यज्ञाचार्य पं.विवेक कृष्ण शास्त्री के निर्देशन में चलेगा। पूर्णाहुति 11 अप्रैल को होगी।
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