अलौकिक मध्यप्रदेश” का विमोचन, पुस्तक की पहली प्रति मुख्यमंत्री को भें
मप्र के प्रमुख धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन स्थलों पर आधारित डॉ. ए.के. द्विवेदी की पुस्तक

मप्र के प्रमुख धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन स्थलों पर आधारित डॉ. ए.के. द्विवेदी की पुस्तक “
अलौकिक मध्यप्रदेश” का विमोचन, पुस्तक की पहली प्रति मुख्यमंत्री को भेंट
इंदौर। विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर भारत के हृदय स्थल में स्थित है मध्यप्रदेश जो अपनी समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन सभ्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह प्रदेश घने वनों, पवित्र नदियों और वैभवशाली राजवंशों के इतिहास को संजोए हुए है। माँ नर्मदा सहित अनेक नदियाँ यहाँ कल-कल बहती हैं, तो वहीं महाकालेश्वर (उज्जैन), ओंकारेश्वर, देवास की माता टेकरी, धार स्थित भोजशाला (सरस्वती मंदिर), दतिया का माँ पीतांबरा पीठ और रतलाम का माँ महालक्ष्मी मंदिर जैसे धार्मिक स्थल विश्वभर में श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र हैं। इन्हीं धार्मिक स्थलों, तीर्थ नगरों और देवी मंदिरों की विस्तृत जानकारी है पुस्तक अलौकिक मध्यप्रदेश” में। जिसका विमोचन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। पुस्तक की पहली प्रति प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेंट की गई। पुस्तक के लेखक प्रोफेसर डॉ. ए.के. द्विवेदी (कार्यपरिषद सदस्य, देवी अहिल्या विश्विविद्यालय, इंदौर एवं सदस्य, वैज्ञानिक सलाहकार मंडल, सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय भारत सरकार) है। डॉ. द्विवेदी ने पुस्तक के बारे में मुख्यमंत्री डॉ. यादव को जानकारी साझा की। कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद देश के पर्यटन क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। धार्मिक-आध्यात्मिक पर्यटन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग को भी प्रदेश के अलौकिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन क्षेत्रों की ओर और विशेष ध्यान देना चाहिए। हालाकि आपके नेतृत्व में प्रदेश सरकार इस क्षेत्र के विस्तार एवं प्रचार-प्रसार के लिए लगातार बेहतर और सुनियोजित तरीके से कार्य कर रही है जिससे भविष्य में मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को अलग पहचान देश-दुनिया में मिलेगी। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि *पुस्तक “अलौकिक मध्यप्रदेश”* का संकलन प्रदेश के पर्यटन स्थलों की भांति अद्भुत और आकर्षक है। यह पुस्तक मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहरों को सुंदरता से प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से प्रदेश के दर्शनीय स्थलों, ऐतिहासिक मंदिरों और लोक परंपराओं की झलक पाठकों को मिलेगी। यह न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि प्रदेश की अनूठी विरासत से लोगों को परिचित कराएगी।
186 पेज की पुस्तक में चित्रों के साथ मौजूद है पर्यटन और धार्मिक स्थल की जानकारी
पुस्तक “अलौकिक मध्यप्रदेश” में कुल 186 पेज हैं। जिसमें 3 अध्याय हैं। अध्याय-1 नर्मदा तट पर धार्मिक पर्यटन जिसमें मां नर्मदा के तटों पर मौजूद अमरकंटक, भेड़ाघाट, ओंकारेश्वर, महेश्वर आदि की जानकारी है। अध्याय -2 आध्यात्मिक पथ पर जगमगाते धर्म- नगर इसमें अवंतिका (उज्जैन), उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल, अहिल्या नगरी इंदौर, मांडव आदि की जानकारी है। अध्याय-3 देवी माता के मंदिर जिसमें सरस्वती मंदिर (भोजशाला) धार, चर्चिका माता मंदिर नलखेड़ा, मां पीताम्बरा पीठ दतिया, माता टेकरी देवास, बड़ी बिजासन माता मंदिर सेंधवा, माता महालक्ष्मी मंदिर रतलाम आदि की जानकारी मय चित्र के साथ है।
चिकित्सक होने के साथ जारी है पुस्तक लेखन का भी शौक।