इंदौरमुख्य खबरे

श्री शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन ऐतिहासिक जनसैलाब उमड़ा

*पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया ज्ञान, विद्यावान बनना लेकिन विद्वान मत बनना*

*इंदौर* । विधायक संजय शुक्ला के द्वारा दयालबाग के विशाल मैदान पर आयोजित की गई सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन आज जनसैलाब उमड़ पड़ा । इतनी बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंचे कि चारों तरफ से रास्ते श्रद्धालुओं से भरा गए । ओम शिवाय नमसतुभ्यम का जाप करते श्रद्धालुओं ने पूरे रास्तों को बैठकर बंद कर दिया ।

वैसे तो सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की इस शिव महापुराण कथा में पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है । अब तक 6 दिनों में जितनी भीड़ उमड़ी उसका भी पूरा रिकॉर्ड आज इस कथा के अंतिम दिवस पर टूट गया । इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे कि उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । दलालबाग की तरफ जाने वाले सारे रास्ते श्रद्धालुओं से भरा गए । जिस श्रद्धालु को जहां पर स्थान नजर आया बिना किसी संकोच के श्री शिव महापुराण की कथा का श्रवण करने के लिए वह श्रद्धालु उसी स्थान पर बैठ गया । आज अंतिम दिवस होने के कारण कथा सुबह 9:00 बजे प्रारंभ हुई ।
जब कथा प्रारंभ करने के लिए शिव महापुराण मर्मज्ञ पंडित प्रदीप मिश्रा व्यास पीठ पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि इतनी सुबह इंदौर के लोग इतनी बड़ी संख्या में आ गए हैं । उन्होंने लोगों से जानना चाहा कि कब आए ? तो उन्हें जवाब मिला कि सुबह 4:00 बजे से आकर बैठ गए हैं । इस जवाब को सुनकर पंडित मिश्रा भी भावुक हो गए और उन्होंने इंदौर के श्रद्धालुओं को नमन किया ।

आज कथा वाचन के दौरान उन्होंने कहा कि विद्वान और विद्यावान होने के अंतर को समझ लेना जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी होता है । सभी कहते हैं कि रावण बहुत विद्वान था लेकिन कोई यह नहीं कहता है कि रावण बहुत विद्यावान था । विद्वान व्यक्ति की यह पहचान होती है कि उसमें अहंकार भरा होता है और विद्यावान व्यक्ति की पहचान होती है कि उसमें नम्रता होती है, ममता होती है और वह झुकना जानता है । आप लोग अपने जीवन में हमेशा विद्यावान बनना, कभी भी विद्वान मत बनना । उन्होंने कहा कि आपके भाग्य में जो लिखा है उसे कोई टाल नहीं सकता है । आज भगवान राम और जानकी माता के विवाह की वर्षगांठ है । इसकी सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े विद्वानों ने इनकी कुंडली देखी थी, मोहरत देखा था और फिर विवाह हुआ था । जब राजतिलक की तैयारी हो रही थी तब भगवान राम को वनवास जाना पड़ा । देवी सीता को वन वन भटकना पड़ा । यह भाग्य का लिखा हुआ था । जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो उन्हें कारागार में जन्म लेना पड़ा । द्वारका का राज्य मिला तो उसमें भी सुख नहीं मिला इसीलिए कहा जाता है कि भाग्य के लिखे को कोई मिटा नहीं सकता ।

*इंदौर के लोगों की तारीफ*

पंडित मिश्रा इंदौर के लोगों की तारीफ की और कहा कि यह लोग बहुत जुनून के साथ काम करते हैं । जब इनके सिर पर किसी बात को लेकर जुनून सवार हो जाता है तो फिर तो यह लोग रात भर जाग लेते हैं । सुबह उठने का तो काम ही नहीं बचता है । यह जुनून चाहे विद्या अर्जित करने का हो, चाहे अपने कामकाज का हो या फिर भगवत नाम के स्मरण का हो । इस संसार का सार केवल भगवत नाम के स्मरण में है ।

*कमलनाथ ने लिया आशीर्वाद*

आज इस कथा के अंतिम दिवस पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कथा में शामिल होने के लिए पहुंचे । उन्होंने व्यासपीठ पर जाकर पंडित प्रदीप मिश्रा का आशीर्वाद प्राप्त किया । इसके साथ ही मध्य प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर भी आज कथा का श्रवण करने के लिए पहुंची । विधायक संजय शुक्ला ने इस कथा की व्यवस्था में सहयोग देने के लिए सभी श्रद्धालुओं , जिला प्रशासन , पुलिस विभाग और नगर निगम का धन्यवाद ज्ञापित किया ।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!