जीवन के अंधकार भरे क्षणों में ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन मात्र से कल्याण का आलोक फैलता है – शंकराचार्य
विमानतल मार्ग स्थित विद्याधाम पर ओम जय-जय अम्बे भक्तजन मंडल द्वारा

जीवन के अंधकार भरे क्षणों में ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन मात्र से कल्याण का आलोक फैलता है – शंकराचार्य
विमानतल मार्ग स्थित विद्याधाम पर ओम जय-जय अम्बे भक्तजन मंडल द्वारा
इंदौर। शिव का नाम, रूप स्वरूप, दर्शन और श्रवण भी कल्याणकारी है। शिव नाम ही कल्याण का पर्याय है। सृष्टि के नियंता होने के नाते भगवान शिव द्वारा स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंग भारत भूमि के अलग-अलग अंचलों में स्थापित करने के पीछे मूल भाव यही है कि प्राणी मात्र के पापों का नाश हो, उनके कष्टों का निवारण हो और वे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर गृहस्थ जीवन के दायित्वों का पूरी निष्ठा के साथ पालन कर सकें। जीवन के अंधकार भरे क्षणों में ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन मात्र एवं शिव के नाम स्मरण से ही कल्याण का आलोक फैलने से व्यक्ति का उद्धार हो जाता है।
जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम परिसर में ओम जय-जय अम्बे भक्तजन मंडल एवं श्री श्रीविद्याधाम परिवार द्वारा आयोजित श्री शिव पुराण कथा में उपस्थित भक्तों को द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा और महिमा सुनाते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व आयोजन समिति की ओर से आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में ओ.पी. गौतम, उदय लक्ष्मण जाधव, लक्ष्मीनारायण राठौर, श्रीमती निर्मला दीनदयाल अग्रवाल एवं राजेन्द्र झार आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। इसके पूर्व सुबह भगवान परशुराम के मंदिर की साक्षी में जे.पी. सिंह, रमेश उपाध्याय, मंगल पांडे, श्रीमती रमा मुकेश सोमानी एवं राम बहादुर पटेल ने यज्ञ-हवन में भाग लिया। कथा 9 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से सांय 6 बजे तक विद्याधाम परिसर में होगी।
शंकराचार्य ने द्वादश ज्योतिर्लिंग की महत्ता बताते हुए कहा कि सोमनाथ के दर्शन एवं पूजन से कुष्ट एवं क्षय रोग का नाश होता है। मल्लिकार्जुन के दर्शन से भक्त की मनोवांछित कामनाएं पूरी होती है। महाकालेश्वर के दर्शन और पूजन से मनोकामनाएं पूरी होकर शत्रु बाधाएं दूर होती है। ओंकारेश्वर और ममलेश्वर के दर्शनों से भक्तों को अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। केदारेश्वर के दर्शन-पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। भीमाशंकर के दर्शन से भक्तों को सताने वाले दैत्यों एवं असूरी ताकतों से मुक्ति, काशी विश्वनाथ के दर्शन से कर्म बंधनों से मुक्ति, त्रयंबकेश्वर के दर्शन से निर्भयता, बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति,नागेश्वर धाम के पूजन से दुष्टों का दमन, रामेश्वर के दर्शन और पूजन से भक्तों के मनोरथ एवं संकल्पों की पूर्ति तथा घृष्णेश्वर के दर्शन और पूजन से भक्तों की रक्षा होती है।
शंकराचार्य ने कहा कि भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए जैसे केवल जल की कुछ बूंदों से अभिषेक ही पर्याप्त होता है, उसी तरह उनके नाम के साथ शिवलिंग के नाम भी जोड़ दें तो भूतेश्वर, बटकेश्वर, सुखदेश्वर, गंगेश्वर, कुंभेश्वर, चंद्रेश्वर, कपलेश्वर सहित स्थान के नाम भी पूजनीय बन जाते हैं। देश ही नहीं, विश्व में भी भगवान शिव के लाखों मंदिर स्थापित हैं। शिव के पंच अवतार भी महत्वपूर्ण माने गए हैं, इनमें साध्योजात, वामदेव, तदपुरुष, अघोर और ईशान जैसे अवतार प्रमुख हैं। इसी तरह एकादश रूद्र में कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, अजपाद,शास्ता, अर्हिबुधन्य, शंम्भू, चंड और भव जैसे रूद्र प्रमुख हैं, जिनकी महिमा के गायन से शिव प्रसन्न होते हैं।