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पैरेंट्स बच्चो की स्ट्रेंथ को प्रोत्साहित करें एवं वीकनेस को इग्नोर

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट विनी झारिया ने लर्निंग डिसएबिलिटी पर चर्चा की

इंदौर।लर्निंग डिसएबिलिटी पर क्रिएट स्टोरीज एनजीओ ने कार्यशाला आयोजित की जिसमे चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट विनी झारिया के परिचर्चा की ।

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट विनी झारिया ने बताया , जैसा कि छोटे बच्चो के परीक्षा परिणाम अब आने लग गए है एवं काफी पैरेंट्स को ऐसा लगता है की बच्चो को आता तो सब था लेकिन रिजल्ट्स उस प्रकार से नही आए तो बच्चो को कुछ भी बोलने के पहले स्कूल जाकर कॉपी देखें , टीचर से मिले और समझने की कोशिश करें एवं जहां गलतियां है उसे समझने की कोशिश करें और नए सेशन में शुरू से उसपे वर्क करें । ऐसा भी संभव है की बच्चे को कुछ लर्निंग डिसएबिलिटी हो ।

पैरेंट्स अपने बच्चे की स्ट्रेंथ को समझते हुए उसे इनकरेज या प्रोत्साहित करें एवं उनकी वीकनेस को इग्नोर या सौ प्रतिशत फोकस ना करें। बच्चे को जो भी तकलीफ है पढ़ने में या लिखने में उन्हे सुने , समझे , खुल कर एक्सप्रेस करने दें एवं उन्हे जज न करें ।

विनी झारिया ने बताया की यह लर्निंग डिसएबिलिटी एक हिडेन डिसएबिलिटी है , तो जब हमे लगता है बच्चा जानबूझ के नही पढ़ रहा एवं यह बार बार हो तो एक बार एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें । डिस्लेक्सिया के बारे में यदि बात करें तो सबसे पहले पहचाने की डिस्लेक्सिया के लक्षण क्या है , क्योंकि यह अलग अलग उम्र में अलग अलग होते है ।

लर्निंग डिसएबिलिटी के लक्षण–

· लेटर्स का उल्टा लिखना ।

· गणित के साइन को समझने में दिक्कत।

· समझने और याद रखने में दिक्कत ।

· शब्दों के उच्चारण में तकलीफ ।

· संख्याओं को समझने में कठिनाई ।

· एक से अधिक निर्देशों का पालन करने में असमर्थता ।

· राइमिंग सीखने या उसका खेल खेलने में मुश्किल ।

· अक्षर , नंबर , शब्द , सप्ताह (सीक्वेंसिंग) में बोलने में तकलीफ ।

· नई स्किल्स को सीखने में तकलीफ ।

· वर्ड प्रॉब्लम्स में दिक्कत ।

· दूसरो में सामने रीडिंग अवॉइड करना ।

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