एक देश या समाज, जहां महिलाएं दुखी रहती हैं, वहां गरीबी रहेगी – श्री श्री रवि शंकर
10वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में महिलाओं के विकास और कल्याण पर की गई चर्चा

बाधाओं को पार करने से लेकर सौहार्द्रपूर्ण संबंध विकसित करने तक
: 10वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में महिलाओं के विकास और कल्याण पर की गई चर्चा*
“एक देश या समाज, जहां महिलाएं दुखी रहती हैं, वहां गरीबी रहेगी,” यह बात वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने 10वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के उद्घाटन पर कही।
बेंगलोर। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में विभिन्न देशों से आई कई मजबूत आवाजें बाधाओं को तोड़ने, आत्म-खोज करने और समग्र कल्याण के लिए एक शक्तिशाली संवाद बन गईं। इन सत्रों में गहरे विचार-विमर्श के साथ विश्राम, चिंतन और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का मिश्रण देखा गया।
एक विशेष सत्र में, बहरीन की महिला सैनिक, एक भारतीय अभिनेत्री और तुर्की से डिजिटल और एआई-आधारित कला की अग्रणी ने मिलकर मन और चेतना पर रचनात्मकता की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने कहा, “बचपन में, कला मेरे लिए ध्यान की तरह थी—यह स्वाभाविक रूप से आती थी। जब मैं यहां आई, तो मुझे अपनी ऊर्जा में एक बदलाव महसूस हुआ। रचनात्मकता वहीं पनपती है, जहां लोग बेहतर बनने और करने की कोशिश करते हैं।”
सेना से रचनात्मक क्षेत्र में आईं, मिस नोरा अब्दुल्ला, हेड ऑफ फॉलोइंग और कोऑर्डिनेटर, जनरल स्पोर्ट अथॉरिटी बहरीन, ने अपनी परिवर्तन यात्रा साझा की: “सेना में रचनात्मकता का कोई स्थान नहीं था—हम बस आदेशों का पालन करते थे। आर्ट ऑफ लिविंग के साथ, मुझे रचनात्मकता की स्वतंत्रता मिली और मैंने यह महसूस किया कि वास्तविक रचनात्मकता समाज की सेवा करने में है।”
महिलाओं के जीवन में विश्राम और संतुलन के महत्त्व को रेखांकित करते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन की अध्यक्षा श्रीमती भानुमति नरसिम्हन ने कहा, “महिलाएं हमेशा अधिक उपलब्धियां प्राप्त करने और अधिक काम करने की जल्दी में रहती हैं; यह समय आराम करने और बस अपने आप में रहने का है। जब आप विश्राम करती हैं, तो आप और अधिक उपलब्धियां प्राप्त कर सकती हैं।”
*गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर : जिन्होंने लाखों लोगों को आंतरिक शांति दी*
सम्मेलन में उपस्थित कई प्रमुख हस्तियों ने वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के योगदान को स्वीकार किया, जिन्होंने 180 देशों में लाखों लोगों के लिए ध्यान और सेवा कार्यक्रमों के माध्यम से आंतरिक शांति का मार्ग खोला। भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने गुरुदेव के आध्यात्मिक मूल्यों के संरक्षण में उनकी भूमिका को उजागर करते हुए कहा, “भारत एक आध्यात्मिक देश है, लेकिन बदलते समय के साथ हम अपनी जड़ों से दूर हो रहे हैं। इसलिए गुरुदेव जैसे आध्यात्मिक गुरु हमारे बीच हैं—जो हमें हमारे भूले हुए मूल्यों की याद दिलाते हैं और हमें प्रेरित करते हैं।”
प्रसिद्ध विशालाक्षी पुरस्कार प्राप्त करने पर, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा, “एक ऐसी माँ के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने से बढ़कर और कुछ भी नहीं है, जिसने एक संत को जन्म दिया।”
जापान की पूर्व प्रथम महिला माननीय श्रीमती आकी आबे ने गुरुदेव के अहिंसामुक्त विश्व के दृष्टिकोण को साझा करते हुए व्यक्तिगत त्रासदी पर अपने विचार व्यक्त किए : “मैंने गुरुदेव को यह कहते सुना है कि हर अपराधी के भीतर एक पीड़ित होता है। क्या मैं उस व्यक्ति से घृणा करने के बजाय सहानुभूति दिखा सकती हूँ जिसने मेरे पति की जान ली? क्या मैं ऐसी हिंसा को रोकने में मदद कर सकती हूँ? एक ऐसा समाज जिसमें अपराध कम हों, निश्चित रूप से उस समाज से बेहतर है जो केवल अपराध के बाद पीड़ितों की मदद करता है।”
*सीता चरितम्: एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रस्तुति*
10वाँ अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन केवल संवाद और आत्म-चिंतन का मिश्रण नहीं था, बल्कि यह भव्य सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक मंच रहा, जो हमनें “सीता चरितम्” की प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति में देखी । यह प्रस्तुति महाकाव्य रामायण की एक काव्यात्मक पुनर्गाथा थी, जो माँ सीता के दृष्टिकोण से सुनाई गई थी। इसमें अपार प्रेम, ज्ञान, दृढ़ता, भक्ति और गरिमा की गहरी भावना थी। 500 कलाकारों का एक विशाल समूह, 30 विभिन्न नृत्य, संगीत और कला रूपों के साथ, भारत के पहले इमर्सिव 4D म्यूजिकल बैलेट में प्रस्तुत हुआ, जिसने विश्वभर से आए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह प्रस्तुति इस कालजयी कथा को 190 देशों तक पहुँचाएगी। इसकी पटकथा अंग्रेजी में लिखी गई है और यह रामायण के 20 से अधिक संस्करणों से प्रेरित है। इसमें कई स्थानीय भाषाओं में मौलिक संगीत भी शामिल हैं, जो इसे एक वास्तविक वैश्विक सांस्कृतिक अनुभव बनाते हैं।
सीता चरितम्” की क्रिएटिव डायरेक्टर श्रीमती श्रीविद्या वर्चस्वी ने इस प्रस्तुति की प्रेरणा के बारे में कहा, “सीताजी की कहानी एक परिवर्तन की कहानी को दर्शाती है। पूरे नाटक, पटकथा और संवादों में गुरुदेव द्वारा दिया गया ज्ञान समाहित है।”
कार्यक्रम के समापन पर हर दिल में रचनात्मकता और सार्वभौमिक मूल्यों की गूंज रही, जो एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रही थी जो ज्ञान, सहानुभूति, आंतरिक शांति और खुशी से आकार लेगा।