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प्रयागराज महाकुंभ 2025 एक थैला एक थाली  अभियान*

सामुदायिक भागीदारी से इस बड़े अभियान को शून्य बजट के साथ, सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया।

*प्रयागराज महाकुंभ 2025 एक थैला एक थाली  अभियान*

इंदौर। सामुदायिक भागीदारी से इस बड़े अभियान को शून्य बजट के साथ, सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया।कुल संग्रह:इंदौर विभाग : थालियां  31056कपड़े झोले :  21098।इस अभियान की विशिष्ट उपलब्धियां:

  पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश घर घर तक पहुंचा : देशव्यापी अभियान में लाखों परिवारों की सहभागिता से जन जन में कुंभ घर घर में कुंभ का  स्वच्छ , हरित कुंभ  अभियान सफल हुआ।परिवारों तक पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश प्रभावी रूप से पहुंचा। वे अपनी स्थानीय  नदियों, झीलों, जल स्रोतों की स्वच्छता हेतु प्रेरित हुएं.डिस्पोजेबल कचरे में कमी: महाकुंभ में डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों  और कटोरों (पत्तल-दोना) का उपयोग 80-85% तक कम हुआ।. अपशिष्ट में कमी: अपशिष्ट उत्पादन में लगभग 29,000 टन की कमी आई, जबकि अनुमानित कुल अपशिष्ट 40,000 टन से अधिक हो सकता था।लागत बचत: डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों  और कटोरों पर प्रतिदिन ₹3.5 करोड़ की बचत हुई, जो 40-दिवसीय आयोजन में कुल ₹140 करोड़ थी। (इसमें परिवहन, ईंधन, सफाई कर्मचारी और अन्य संबंधित लागतें शामिल नहीं हैं। खाद्य अपशिष्ट में कमी: थालियों को पुन: धोकर काम में लिया जा रहा है।  भोजन परोसने में सावधानी है कि ” उतना ही लो थाली में कि  व्यर्थ नहीं  जाए नाली में” इससे   खाद्य अपशिष्ट में 70% की कमी आई।

 धार्मिक रसोई के लिए बचत: अखाड़ों, भंडारों और सामुदायिक रसोई के लिए महत्वपूर्ण लागत बचत, जो अन्यथा डिस्पोजेबल वस्तुओं पर लाखों खर्च करते।दीर्घकालिक प्रभाव: आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की थालियों0 का उपयोग वर्षों तक किया जाएगा, जिससे अपशिष्ट और लागत में कमी जारी रहेगी। सांस्कृतिक बदलाव: इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए “बर्तन बैंकों” के विचार को प्रोत्साहित किया है, जो समाज में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देता है

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