इंदौरमनोरंजन

रुनझुन बाजे पैंजनिया म्हारी रणु बाई कीशिल्प बाजार में उमड़ी भीड़

गुजरात से आए कलाकारों द्वारा गामित नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।

गणगौर , बेगा, गरिया, मेवासी, तुर, लावणी, गामित एवं कत्थक से सजी शाम

इंदौर। निमाड़ अंचल में गणगौर का बड़ा ही महत्व है जिसमें महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर की पूजा करती है आज मालवा उत्सव के छठे दिवस पर निमाड़ का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर महिलाओं द्वारा लाल छीठ के घेरदार लहंगे पहनकर किया गया। जिसमें धनिया राजा वह रनु बाई को अपने सिर पर रखकर धीरे-धीरे आगे पीछे होकर नृत्य किया गया बोल थे ” रुनझुन बाजे पैंजनिया म्हारी रणु बाई की।” वही शिल्प बाजार में काफी भीड़ नजर आई ।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि देवी अहिल्या के 300 वे जन्म जयंती के अंतर्गत संस्कृति संचनालय एवं नगर निगम इंदौर के सहयोग से आयोजित मालवा महाराष्ट्र की लावणी की चपलता एवं सुंदरता भी सबके मन को भा गई महिलाओं ने सुंदर वस्त्र के साथ कई आभूषण पहन रखे थे। गुजरात से आए आदिवासी कलाकारों ने माता जी की स्थापना के समय शादी विवाह के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य गरिया प्रस्तुत किया उन्होंने माथे पर मोर पंख एवं सिर पर पगड़ी बांध रखी थी। सुख दुख से लेकर शमशान तक में किया जाने वाला गुजरात का लोक नृत्य तुर जिसमें सफेद टोपी सफेद धोती कुर्ता पहनकर उन्होंने सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। गुजरात की भील जनजाति द्वारा मवासी नृत्य किया गया जिसमें उन्होंने अपने देवता खत्री की आराधना की। वही बैगा करमा नृत्य हाथों में बाजूबंद, कमर पर करधनी पांव में घुंघरू बांधकर बांसुरी और टीमकी बजाकर खूबसूरती से पेश किया गया ज्योत्स्ना सोनी एवं शिष्यों द्वारा मियां मल्हार की बंदिश एवं संतोष महाराज की ठुमरी पर किया गया कथक नृत्य खूबसूरत बन पड़ा था उन्होंने रामा ग्रीन एवं मेहरून कलर के परिधान पहने हुए थे। गुजरात से आए कलाकारों द्वारा गामित नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।

लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा एवं विशाल गिद्वानी ने बताया कि शिल्प मेले में आज काफी भीड़ उमड़ी यहा उत्तर प्रदेश ,नागालैंड छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश की ज्वेलरी से लेकर कालीन और जूट व साड़ियां सभी मौजूद हैं ।उत्तर प्रदेश का टेराकोटा, नागालैंड का ड्राई फ्लावर, मिजोरम व आसाम का बास शिल्प तो छत्तीसगढ़ का लोह शिल्प व मध्य प्रदेश का पीतल शिल्प के साथ में महेश्वरी साड़ियां पोचमपल्ली साड़ियां कोलकाता का जूट शिल्प लखनऊ, फरीदाबाद, आजमगढ़, देहरादून से कई प्रकार के शिल्प यहां आए हैं और आसानी से उपलब्ध है। जोधपुर राजस्थान से एंटीक फर्नीचर वही उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध चीनी मिट्टी के बर्तन यहां पर मौजूद है हिमाचल प्रदेश हरियाणा राजस्थान से भी शिल्प यहां पर आए हैं।

लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा एवं रितेश पाटनी ने बताया कि देवी अहिल्या के 300 वे जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित मालवा उत्सव मेले का कल अंतिम दिवस है शिल्प मेला दोपहर 12 बजे से ही प्रारंभ होगा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सायंकाल 7:30 बजे से प्रारंभ होंगे जिसमें पनिहारी, गणगौर गोंड कर्मा, गरिया, बैगा करमा प्रसिद्ध लोक नृत्य प्रस्तुत होंगे।

कलाकारों के आवास एवम भोजन व्यवस्था दिलीप जोशी बहुखी से निभार रहे है।

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