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धर्म  प्रदर्शन के लिए नहीं, दर्शन के लिए होता है

धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव

इंदौर,। वर्तमान युग धर्म जागरण का है। धर्म प्रदर्शन के लिए नहीं, दर्शन के लिए होता है। धर्म समाज को चैतन्यता प्रदान करता है। सच्चा धर्म वही है, जिसमें पाखंड नहीं, सेवा और परमार्थ का भाव हो। भारतीय संस्कृति परंपराओं और मर्यादाओं से जुड़ी हुई है। भगवान का अवतरण जीव मात्र के कल्याण और उद्धार के लिए ही होता है। सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश, यही भगवान के प्राकट्य का प्रयोजन है। संसार में सारे विवाद मर्यादा के उल्लंघन के कारण ही होते हैं।

            श्री श्रीविद्याधाम के आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री ने आज देवेन्द्र नगर, अन्नपूर्णा रोड स्थित ‘पंचामृत सदन’ पर बैसाख माह के उपलक्ष्य में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान राम एवं कृष्ण जन्म उत्सव प्रसंग  पर व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व चित्तौड़ा महाजन समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र महाजन, वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश महामंत्री अरविंद बागड़ी, सांई भक्त हरि अग्रवाल, श्रद्धा सुमन सेवा समिति के डॉ. चेतन सेठिया, गिरीश गुप्ता, झालावाड़ के समाजसेवी पंकज काशवानी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में  वामन अवतार, राम जन्म एवं कृष्ण जन्म के उत्सव धूमधाम से मनाए गए।  संयोजक मयंक गुप्ता एवं नीलेश गुप्ता ने बताया कि बुधवार, 3 मई को गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग तथा 4 मई को महारास लीला एवं रुक्मणी विवाह और 5 मई को सुदामा चरित्र के साथ इस उत्सव का समापन होगा।

            विद्वान वक्ता ने कहा कि भारत विश्व गुरू रहा है। हम सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति में शामिल गंगा, तुलसी एवं सभी पवित्र नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। प्रकृति भी परमात्मा की ही रचना है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ के नतीजे हमे ही नहीं, आने वाली पीढ़ियों को भी भोगना पड़ सकते हैं।

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