मर्यादा पुरुषोत्तम वही बन पाएगा जो सामने रखे पाटपाटका मोह छोड़कर बियाबान जंगलों में जाने को तैयार हो
राम और कृष्ण के बिना भारतीय संस्कृति और समाज की भी कल्पना नहीं की जा सकतीहै।
इंदौर, । भगवान राम ने माता-पिता और गुरू की आज्ञा मानकर उनकी निष्काम सेवा जैसे आदर्श प्रस्तुत किए हैं। मानस की कथा मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है। मनुष्य को जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे राम नाम का चिंतन छूट जाए और हमारे भजन भक्ति का प्रवाह बिगड़ जाए। राम का समूचा जीवन चरित्र मर्यादाओं और आदर्शों से भरपूर रहा है। उनके आचरण में निर्दोषता है। मर्यादा पुरूषोत्तम वहीं बन सकता हैं, जो राम की तरह सामने रखे राजपाट का मोह छोड़कर बियाबान जंगलों में जाने को तैयार हो। इतिहास त्याग करने वालों का सम्मान करता है, समेटने वालों का नहीं।
आचार्य पं. वीरेन्द्र व्यास के, जो उन्होने बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर के शिव-हनुमान मंदिर की साक्षी में चल रहे दिव्य श्रीराम कथा महोत्सव में व्यक्त किए। शनिवार को महोत्सव में श्रीराम-सीता विवाह प्रसंग मनाया गया। कथा में आज भी मनोहारी भजनों पर नाचने-गाने का सिलसिला पूरे समय चलता रहा
। महिला मंडल की ओर से शिव पुराण की आरती भी की गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
विद्वान वक्ता ने कहा कि बिना सत्संग और गुरू के परमात्मा की कृपा प्राप्त करना संभव नहीं है। क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार- ये सब रावण और कंस के ही रिश्तेदार हैं। उन्हे मन से खदेडने का साहस सत्संग से ही मिलेगा। जिस दिन इन घुसपैठियों पर हम अधिपत्य कर लेंगे, मन अवध और वृंदावन बनकर मयूर की तरह नाच उठेगा। राम जैसा आज्ञाकारी पुत्र और भाई हर घर में होना चाहिए। महापुरूष वही होते हैं, जो स्वयं की समस्या को छोडकर राष्ट्र की समस्याओं के निवारण का चिंतन करते हैं। प्रभु श्रीराम का समूचा जीवन चरित्र मर्यादा पुरुषोत्तम जैसे सर्वश्रेष्ठ अलंकरणों से विभूषित है और इसीलिए उन्हें आज भी पूरे विश्व में पूजा जा रहा है। राम और कृष्ण के बिना भारतीय संस्कृति और समाज की भी कल्पना नहीं की जा सकतीहै।