अब ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के लिए आवेदन का आखरी दिन 88 दुकानों का एक समूह में होगा आवंटन।
पहले से दुकानें चला रहे सिंडिकेट के ठेकेदारों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए नहीं दिखाई रुचि।

आशीष यादव धार
जहां एक और जिले में शराब दुकानों को लेकर पुराने ठेकेदारों द्वारा रुचि नहीं दिखाई गई। उसके बाद विभाग ने ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत आवेदन की तिथि 27 फरवरी रखी जो गुरुवार को खत्म हो रही है। वही ऑनलाइन के लिए किसी ठेकेदारो सूची नहीं दिखाई जाती है। तो आखिरी स्थिति में टेंडर प्रकिया अपनाई जायेगी जिसमें जिला स्तरीय एक कमेटी रहेगी जिसमें कलेक्टर एसपी, सीईओ, आबकारी एसी, डीसी तय करेगी दुकानों को कैसे दिया जाए ओर सरकार का राजस्व बढ़ाया जाए साथ ही शराब दुकानों के लिए कमिश्नर से अनुमोदन लेकर दुकानों को दिया जायेगा। गत वर्ष जिले में सभी शराब दुकानें के लिए ऑनलाइन टेंडर बुलाए गई थे। गत वर्ष जिले को 24 समूहों में बांटा गया था। वही बाद में मूल्यांकन समिति द्वारा जिले की सभी दुकानें को मिलाकर एक समहू में नीलामी की गई थी। धार, झाबुआ अलीराजपुर प्रदेश के कई जिलों में शराब ठेकेदारों द्वारा रुचि नही देखते हुए नवीनीकरण के आवेदन ही नही किए। दुकानों के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन नीलामी आवेदन लिए आज आखरी दिन है।
नई नीति से ठेकेदार नाराज है:
दरअसल सरकार द्वारा नई आबकारी नीति लागू किए जाने से शराब ठेकेदार नाराज हैं। ठेकेदारों का कहना है नई नीति ओर मूल्य व्रद्धि में इसका कारण है। वही अब विभाग लाटरी से शराब दुकान के ठेके की प्रक्रिया शुरू करेगा। सबसे ज्यादा रेवन्यू देने वाले धंधा दिनों दिन महंगा होने के कारण शराब ठेकेदार अब इसमें अपना नफा-नुकसान ढूंढने लगे है। यही कारण है कि नई शराब नीति के तहत सालाना प्रतिशत बढ़ाकर – होने वाले शराब ठेके इस बार 20 प्रतिशत बढक़र हो गया है। शराब मूल्य में एमएसरपी, एमआरएपी मैं भी कोई अंतर नहीं होने से भी इस बार शराब की नीति ठेकेदारों के लिए घाटे का सौदा बन रही है क्योक कि नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश में सभी शराब ठेकों की लाइसेंस राशि को 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक के शराब ठेकों के लाइसेंस के लिए होगी।
जिले में अधिकांश दुकानों में घाटा गया:
जिले में जो एक समूह की 88 दुकानें है। उनमें ज्यादातर दुकान घाटे का सौदा साबित हुई। जिसके कारण अब ठेकेदार वह ठेकेदार के पार्टनर इनको लेने में हाथ खींच विशेषज्ञों का कहना है कि जिन दुकानों से मुनाफा आता है उनके नवीनीकरण के लिए ठेकेदारों ने आवेदन नही किया क्योकि नई नीति में मूल्य वृद्धि के कारण अन्य खर्च भी ज्यादा होने लगा है। साथ ही लाइसेंस शुल्क निकालना भी मुश्किल होता है यहां मौजूदा ठेकेदारों ने दूरी बनाई है। ऐसे में बढ़ी हुई दर पर इन दुकानों को खरीदने के लिए नए ठेकेदारों द्वारा रुचि दिखाए जाने पर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। सारी स्थिति 27 फरवरी को स्पष्ट होगी। अगर कुछ दुकानों के लिए आवेदन नहीं आते हैं तो ऐसी स्थिति में विभाग मूल्यांकन समिति इसका फैसला करेगी।
एक समूह में निलामी 475 करोड़ के शराब ठेके:
जिले में कुल 88 शराब दुकानें है। जो अभी एक समूह में नीलाम हुई थी। इसमें देशी-विदेशी दोनों ही दुकानें शामिल है। वही इसबार भी जिले को एक समूह बनाया गया है। जो ठेकेदार टेंडर डालेगा जिले दुकानें उसको मिलेगी। नई शराब नीति के तहत इस बार प्रतिशत बढ़ाकर 20 प्रतिशत बढ़ा दिया है। गत वर्ष शराब दुकानों के ठेके 396 करोड़ रुपए में हुए थे। इस बार विभाग ने इसका मूल्य 20% बढ़कर 475 करोड़ रुपए तय किया है। इधर दुकानों का मूल्य बढने के कारण जहां ठेकेदार पशोपेश में है। वहीं उनकी कमाई भी इससे बढ़ेगी। दरअसल दुकान के मूल्य के साथ- साथ शराब की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
इसबार फिर से टेंडर प्रक्रिया की उम्मीद:
पहले एक जमाना हुआ करता था एक दुकान के लिए कहि आवेदन आते थे। व पहले दुकान की लाटरी जिसके नाम से निकलती थी। उसे बड़ा ही भाग्यशाली समझा जाता था। सरकार की नई आबकारी नीति के कारण ठेकेदार शराब की दुकानों में अब रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कभी शराब की दुकानों के लिए लम्बी लम्बी लाइनें लगती थी । मगर अब विभाग में कर्मचारियों के अलावा गिने चुने ठेकेदार ही दिखते है। क्योकि सरकार द्वारा इस बार 20 प्रतिशत बढ़ाकर दुकाने देना है। मगर इसबार कोई भी ठेकेदार
नवीनीकरण में रुचि भी नही दिखाई । वही इसबार टेंडर प्रकिया से दुकाने आवंटित होने की उम्मीद है।
रेन्युवल में सींडिकेट ने भी बनाई दूरियां :
बीते दो तीन सालो से धार जिले में एक ही सींडिकेट बनाकर शराब व्यावसाय का पूरा कारोबार संचालित हो रहा है। लेकिन इस बार के ठेके में शराब सींडिकेट ने भी दूरियां बनाई है। इसकी वजह तो सामने नहीं आई है। मगर अब टेंडर प्रकिया में सिंडीकेट बनाकर दुकानों की खरीदी की जायेगी। क्योकि कोरोना के बाद हुए शराब ठेकों के बाद से अब तक जिले में सिंडीकेट का इस धंधे में अच्छा दबदबा रहा है। इस बार भी सिंडीकेट का ऑनलाइन ठेकों में दबाव देखने को मिल सकता है। हालांकि इस बार जिले में राजनीतिक परिदृश्य पिछले सालों की तुलना में बदले है। ऐसे में नए समीकरण के साथ पुरानी तस्वीर बनाने की भी चुनौती सिंडीकेट को रहेगी। हालांकि सत्ता पक्ष का साथ जरूर ठेकेदारों को मिलेगा। इस बार धार झाबुआ व अलीराजपुर में उज्जैन के ठेकेदारों का दबदबा भी देखा जा सकता है।
88 दुकानों का 10 ग्रुप बन सकता है विभाग :
पिछले बार धार जिले में 88 शराब दुकानो को तोड़कर एक ग्रुप बनाया था। जिनका रिजर्व प्राइम 396 करोड़ रुपए रखा गया है। पिछले साल इन शराब दुकानों से 475 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ था। वही 20 % महेगी हुई शराब आम लोगो के बहार कीमत हों जायेगी। इस साल जिले में सभी देशी विदेशी दुकानें 396 करोड़ में नीलाम हुई है। सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में आबकारी विभाग भी शामिल है। वही प्रदेश में धार जिला भी अच्छा राजस्व देता है । नई शराब नीति में ठेकेदार अगर धार की दुकान के साथ अन्य दुकानो को ले सकता है या आवेदन कर सकता है। साथी मध्य प्रदेश के कही से ठेकेदार आवेदन कर सकता है। धार जिले के लिए सोमा जैसे गुप् भी मैदान पकड़ सकते है साथ ही रमेश राय, पिंटू भाटिया, नन्हे सिंह ठाकुर, सूरत रजक व लल्ला शिवहरे, व उज्जैन के ठेकेदार भी था ठेकों के लिए आने वाले दिनों में सामने आ सकते हैं।