इंदौरधर्म-ज्योतिष

गीता मनुष्य को निर्भय बनाती है, इसे किसीभी स्थिति में पढ़ लें, आपका उद्धार ही करेगी

भगवान ने अपना पता बैकुंठ का नहीं हमारे हृदय के अंदर का दिया है।

गीता भवन में रामजन्म भूमि न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष राष्ट्रसंत स्वामी गोविंददेव गिरि के आशीर्वचन
आज जगदगुरू शंकराचार्य आएंगे

इंदौर, . भगवान को प्रसन्न करने के लिए रोजाना तीन-चार घंटे पूजा-पाठ करने अथवा दिनभर  श्लोक और मंत्र आदि पढ़ने की जरूरत नहीं है। भगवान ने अपना पता बैकुंठ का नहीं हमारे हृदय के अंदर का दिया है। भगवान कहीं बाहर नहीं हमारे अंदर ही हैं। भगवान व्याकरण को नहीं, हमारे अंतःकरण को देखते हैं। इसकी परवाह मत करिए कि आप श्लोक गलत बोल रहे हैं या सही, बिना किसी चिंता के अपने मन को पूरी निष्ठा से गीता के मनन-मंथन में लगाए रखेंगे तो निश्चित ही भगवान आपकी मदद के लिए जरूर आएंगे  और कुछ नहीं तो एक बार भगवान को प्रणाम भी कर लेंगे तो अच्छे नतीजे मिलेंगे। गीता मनुष्य को निर्भय बनाती है। गीता भी ऐसा ग्रंथ है, जिसे आप चाहे जिस स्थिति में  पढ़ लें, आपका उद्धार ही करेगी।
              राम जन्मभूमि न्यास अयोध्या के न्यासी एवं कोषाध्यक्ष राष्ट्र संत गोविंददेव गिरि महाराज ने गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा में गीता की महत्ता बताते हुए ऐसी अनेक प्रेरक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में गीता जयंती उत्सव का कीर्तिमान स्थापित हो रहा है, लेकिन मुझे पता है कि इंदौर के गीता भवन ने ही सबसे पहले इस उत्सव को प्रारंभ किया है। समय-समय पर अन्य स्थानों पर भी उत्सव हुए हैं, लेकिन बहुत ज्यादा सरकारी खर्च करने के बाद भी जो मुकाम और गीता की सेवा का नतीजा गीता भवन इंदौर को मिला है, वैसा कहीं और नहीं मिला है। मैं  आप सबके अभिनंदन के लिए ही यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में इतने ग्रंथ हैं कि उन्हें पढ़ना तो दूर उनकी सूची पढ़ना भी संभव नहीं है। आज के युग में अब पढ़ने वाले लोग बहुत कम बचे हैं।
              उन्होंने कहा कि गीता हमारे उपनिषदों का सार है और सभी वेदों का सार महाभारत है। महाभारत को यदि आपने पूरी निष्ठा से पढ़ लिया तो विश्वास करें कि जिस दिन आप उसे गर में लाकर रख लेंगे आपकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी, क्योंकि महाभारत में हमारे चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। स्वामी विवेकानंद और छत्रपति शिवाजी ने महाभारत को ही सबसे पहले पढ़ा और उनके जीवन पर महाभारत का बहुत कुछ प्रभाव पड़ा। आज भी दुनिया के 122 देशों के 13 लाख लोग लर्न गीता डॉट काम एप से जुड़े हुए हैं, वहीं 40 देशों के एक हजार शहरों में इसी एप पर गीता का पाठ भी हो रहा है। गीता का सर्वोत्तम भाष्य महाभारत में श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन है। महाभारत में कृष्ण और अर्जुन के संवाद को यदि गहरी से समजा जाए तो सीधी बात यह है कि गीता मां है, गीता से डरने की जरूरत नहीं है। जैसे मां के पास हम किसी भी हालत में निर्भय होकर जा सकते हैं, उसी तरह गीता भी ऐसा ग्रंथ है, जिसे आप चाहे जिस स्थिति में  पढ़ लें, आपका उद्धार ही करेगी।
                गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन के सत्संग सत्र का शुभारंभ उज्जैन से आए स्वामी परमानंद के प्रवचनों से हुआ। सभा में भदौही उ.प्र. के पं. सुरेश शरण रामायणी, भदौही के ही पं. पीयूष महाराज, नैमिषारण्य के पं. पुरुषोत्तमानंद एवं प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजय शंकर मेहता ने भी संबोधित किया। पं. मेहता ने गीता के उद्धरण देते हुए कहा कि सत्संग से ही हमारी श्रद्धा बच सकती है। यदि हम शास्त्र के विरुद्ध आचरण करेंगे तो यह भी श्रद्धा का दुरुपयोग होगा। सत्संग कहीं का भी हो और शास्त्र कैसा भी हो उन्हें छोड़ना नहीं चाहिए। शास्त्र के विपरीत आचरण हमारी श्रद्धा, निष्ठा को विकृत बना देता है। जिस दिन श्रद्धा नष्ट हो जाएगी उस दिन हमारा जीवन किसी पशु की तरह ही हो जाएगा। भगवान के प्रति हम जितनी अधिक निष्ठा रखेंगे, हमारी भक्ति उतनी परिपक्व और सार्थक होगी।  प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट मंडल की ओर से अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, न्यासी मंडल के प्रेमचंद गोयल, दिनेश मित्तल, महेशचंद्र शास्त्री, पवन सिंघानिया, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी आदि ने सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर समाजसेवी विष्णु बिंदल, राम अवतार जाजू, ओमप्रकाश पसारी, गणेश गोयल, किशोर गोयल ने भी सभी पधारे हुए संतों का स्वागत किया।  जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में गीता की महत्ता बताते हुए सबके मंगल की कामना की।

*आज के कार्यक्रम-शंकराचार्य आएंगे* – गीता जयंती महोत्सव में तीसरे दिन दोपहर 1 बजे से पं. प्रहलाद मिश्र गोंडा उ.प्र., 1.15 बजे से वृंदावन के स्वामी केशवाचार्य महाराज, 1.45 बजे से परमार्थ निकेतन ऋषिकेश से आए शंकर चैतन्य महाराज,  2.15  बजे से हरिद्वार से आए वर्धमानानंद, 2.45 से पं. पीयूष महाराज, 3.15 से स्वामी आत्मानंद सरस्वती, 4 बजे से स्वामी परमानंद सरस्वती, 4.30 बजे से स्वामी प्रणवानंद सरस्वती एवं 5 से 6 बजे तक जगदगुरू शंकराचार्य पूरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के आशीर्वचन के पश्चात जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के आशीर्वचन होंगे।

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