धन वैभव के प्रति लगाव वाला व्यक्ति कभी अपनी जिंदगी का सुख नहीं भोग पाता- मुनिश्री प्रमाण सागर
जिसके पास बहुत ज्यादा धन संपत्ति है वह हमें सुखी नजर आता है
वैभव नगर में आज से प्रारंभ होगा पंच कल्याणक महोत्सव, निकलेगी श्रीजी की भव्य शोभाया व घटयात्रा, मुनिश्री के सान्निध्य एवं प्रतिष्ठाचार्यों के निर्देशन में होगी सभी विधियां, ध्वजारोहण के लाभार्थी सहित अन्य परिवारों का भी होगा बहुमान
- 2 से 7 दिसंबर तक आयोजित होने वाले महोत्सव में मुनिश्री प्रमाण सागर करेंगे प्रवचनों की अमृत वर्षा
इन्दौर । जिसको धन वैभव के प्रति लगाव होता है। वह कभी अपनी जिंदगी का सुख नहीं भोग सकता। उक्त विचार मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने वैभव नगर पंचकल्याणक महोत्सव स्थल पर आयोजित आचार्य गुरुदेव विद्यासागर सभा मंडप में प्रात: कालीन प्रवचन सभा में प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने प्रवचन में आगे कहा कि प्राय: हमारी नजर बाहर की अनुकूलता और प्रतीकूलता की और ज्यादा जाती है। जिसके पास बहुत ज्यादा धन संपत्ति है वह हमें सुखी नजर आता है तथा जिसके पास धन संपत्ति नहीं वह दु:खी नजर आता है। यह धारणा ही गलत है यदि धन का अभाव दु:ख है तो हम लोगों के पास तो एक कोड़ी भी नहीं है। फिर भी आप लोग देख लो हम लोग आप सबसे ज्यादा सुखी नजर आते है। उन्होंने कहा कि कल से तीर्थंकर प्रभु के पंचकल्याण शुरु हो रहे है। आप लोग देखेंगे कि कैसे तीर्थंकर प्रभु के गर्भ में आते ही छ: माह पूर्व से रत्नवृष्टी शुरु हो जाती है तथा जन्म होंने तक लगातार चलती रहती है। कुमार अवस्था आते ही आत्मकल्याण हेतु उस धन वैभव को छोडक़र वन की ओर चल देते है। इसका मतलब यह हुआ कि सुख, धन, वैभव में नहीं है। यदि धन और वैभव में ही सुख होता तो चक्रवर्ती जैसा छ: खंड का राज्य सुख को छोडक़र वन को नहीं जाते। जिसको धन वैभव के प्रति लगाव होता है वह कभी अपनी जिंदगी का सुख नहीं भोग सकता। कोई तन दुखी, तो कोई धन दु:खी, कोई संतान के न होंने से दु:खी है, तो कोई संतान से दु:खी है? उन्होंने कहा कि परिस्थितियों को ही हम दु:ख का कारण मानकर पूरी जिंदगी उसमें खपा देते है। फिर भी हम उस सुख को प्राप्त नहीं कर पाते। मुनिश्री ने कहा कि आप लोग धर्म भी करते है तो सांसारिक दु:ख को दूर करने के लिए करते है। धन का अभाव दु:ख का या धन का सद्भाव सुख का हेतु नहीं है। जिसको भगवान ने दु:ख मानकर छोड़ दिया तुम्हारी दृष्टि उसी की ओर है। जिस दिन जीवन के अर्थ को समझने लगोगे तो जीवन के इस व्यर्थ से हट जाओगे तथा तुम्हारे अंदर परमार्थ घटित हो जाएगा। मुनिश्री ने कहा कि आत्ममुग्धता में मत जिओ। जब तक आप मोह का त्याग नहीं करोगे। तब तक आपको संसार से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। इस अवसर पर मुनिश्री निर्वेग सागर महाराज एवं मुनिश्री संधान सागर महाराज सहित समस्त क्षुल्लक मंचासीन थे। कार्यक्रम का संचालन अभय भैया ने किया।
धर्मप्रभावना समिति प्रचार प्रमुख राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड) एवं प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि पंचकल्याणक महामहोत्सव 2 दिसंम्वर सोमवार को प्रात:7 बजे घटयात्रा गोयल नगर से कार्यक्रम स्थल वैभव नगर तक निकलेगी। इसी के साथ गर्भ कल्याणक की समस्त क्रियायें एवं पूजा होगी तथा 2 एवं 3 दिसंम्बर को सांयकाल 5.45 से 7.15 तक मुनिसंघ के सानिध्य में गर्भ संस्कार दिव्य संतान विषय पर डॉ.अनिल गर्ग का विशेष व्याख्यान होगा। पंचकल्याणक महोत्सव के संयोजक हर्ष जैन तथा धर्मप्रभावना समिति के अध्यक्ष अशोक-रानी डोसी, नवीन-आनंद गोधा, शोभायात्रा संयोजक जैनेश झांझरी, पवन सिंघई सहित पंचकल्याणक समिति एवं धर्मप्रभावना समिति के सभी पदाधिकारियों ने घटयात्रा में जैन धर्मावलंबियों से अधिक से अधिक संख्या में आने की अपील की है।
पंचकल्याण महोत्सव में यह रहेंगे लाभार्थी
प्रचार प्रमुख राहुल जैन ने बताया कि पंचकल्याणक महोत्सव में माता-पिता की भूमिका में अनिल मीना रावत, अनिकेत-प्रिया सोधिया (सौधर्म इंद्र), आशीष रूपाली जैन (कुबेर इंद्र), गौरव-श्वेता जैन (महायज्ञ नायक), अनिल-अंजू जैन (ध्वजा रोहणकर्ता), जितेंद्र-निधि जैन (ईशान इन्द्र), कमल-नीता जैन (राजा श्रेयांश), राजा-स्नेहा जैन (राजा सोम), हर्ष-विभा रावत (भरत), अंकित-प्राची रावत (बाहुबली), नीलेश-मोनिका जैन (सनत इंद्र), विपुल-सोनल जैन (माहेन्द्र इंद्र), रविन्द्र-जया जैन (ब्रह्म इंद्र), यश-रोशनी जैन (लान्तव इन्द्र), अनंत-नैन्सी जैन (महाशुक्र इन्द्र), मुकेश-सुनीता पापड़ीवाला (सहस्त्रार इन्द्र), राजेंद्र-निर्मला पंचोली (आनत इन्द्र), सुदीप-दिशा जैन (प्राणत इन्द्र), सौमिल-श्रेया जैन (आरण इन्द्र), प्रशांत-आरती जैन (प्रतीन्द्र), मुकेश-रूबी जैन (प्रतीन्द्र) एवं राजीव जैन-मनीष जैन को लाभार्थी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।