हमारी सोच सकारात्मक हो जाए तो आता हुआ क्रोध भी तुरंत शांत हो जाएगा- मुनिश्री प्रमाण सागर
नेमीनगर में मुनिश्री ने की प्रवचनों की अमृत वर्षा
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जैन धर्मावलंबियों ने किया पाद-पक्षालन, लिया मुनिश्री का आशीर्वाद, आज नेमीनगर में प्रारंभ होगा भावनायोग का विशेष सत्र
इन्दौर । क्रोध करना मानव स्वभाव नहीं यह एक दुर्बलता है। यदि आपने अपनी इस दुर्बलता पर विजय प्राप्त कर ली तो आपका घर स्वर्ग बन जाएगा और जीवन में आनंद छा जाएगा। उपरोक्त उद्गार मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने नेमीनगर इंदौर में प्रात:कालीन आयोजित धर्मसभा में सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने अपने प्रवचन में आगे कहा कि कोई भी व्यक्ति 24 घंटे क्रोध में नही रह सकता। यह आपका स्वभाव नहीं बल्कि विभाव परणति है। उन्होंने कहा कि हम जीवन के विकास की बातें तो बहुत करते है लेकिन विनाश के कारणों, सुख-शांति के बाधक तत्वों तथा जीवन आनंद में खलल डालने वाले तत्वों की और ध्यान नहीं देते। यदि हम अपनी दुर्बलताओं तथा सुख-शांति में बाधक तत्वों की और ध्यान रखें तो अपनी दुर्दशा करने और कराने से बच जाएंगे।
मुनिश्री ने मानव मन की चार दुर्बलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सबसे पहला है आवेश या क्रोध। दूसरा है अहम् तथा तीसरा कारण है आसक्ती और चौथा कारण है आग्रह। मुनिश्री ने कहा कि क्रोध या आवेश पर आप सभी का बहुत अच्छा अनुभव है कभी न कभी आपने किसी न किसी पर क्रोध अवश्य किया होगा या सामने वाले के क्रोध का सामना किया होगा। मुनिश्री ने कहा कि हम सभी जानते है कि क्रोध करना अच्छा नहीं होता, फिर भी आवेश में आकर या अकारण ही क्रोध करके अपनी दुर्दशा क्यो करते हो? मुनिश्री ने कहा कि मान लीजिए आप आफिस से या दुकान से घर आए और आपको इच्छित भोजन नहीं मिला तो अकारण अपनी पत्नी पर गुस्सा कर बैठते हैं या आफिस का गुस्सा घर में निकालते है। यह मानव मन की एक कमजोरी है। वह हर बात को अपने नजरिए से देखने की कोशिश करता है और उसकी पूर्ति न होने पर अपने आपको नियंत्रण में नहीं रख पाता। यदि आप अपने घर को स्वर्ग बनाना चाहते हो तो सबसे पहले अपनी उन कमजोरियों को देखो कि हमें गुस्सा कब और क्यों आता है? कभी कभार आता है या हमेशा नाक पर चढ़ा रहता है। क्रोध एक नकारात्मक चिंतन है। जब-जब नकारात्मकता हावी होती है हमें क्रोध आ जाता है। यदि हमारी सोच सकारात्मक हो जाए तो आता हुआ क्रोध भी तुरंत शांत हो जाएगा ओर हम जीवन में शांति अनुभव कर सकते है।
धर्मप्रभावना समिति प्रचार प्रमुख राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड) एवं प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि मुनिसंघ नेमीनगर में विराजमान है। प्रतिदिन प्रात: 8.30 बजे प्रवचन तथा सांयकाल 5.45 से शंका समाधान कार्यक्रम चल रहा है। गुमाश्ता नगर, वैशाली नगर तथा आसपास की कालोनी से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर मुनिश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। बुधवार 27 नवंबर को प्रात: 6. 30 बजे से भावनायोग का विशेष सत्र रखा गया है। धर्मप्रभावना समिति के अध्यक्ष अशोक-रानी डोसी, नवीन-आनंद गोधा तथा महामंत्री हर्ष जैन ने सभी से निवेदन किया है कि नेमीनगर में विराजित मुनिसंघ के अल्प प्रवास का सभी नागरिक धर्म लाभ उठायें।
क्रोध पर नियंत्रम कर लीजिए घर स्वर्ग बन जाएगा
मुनिश्री ने एक उदाहरण देते हुए सभी को बताया कि 1984 की एक घटना हैं। उस समय संघ में ब्रहम्चारी था आचार्यश्री के पास आकर किसी ने उनसे पूछा कि व्हाट युअर बिजनिस? तो आचार्य गुरुदेव ने हंसकर जवाब दिया बिजी रहना ही मेरा बिजनेस है। यदि आपने उसके हावभाव को न समझ अपने आपको इग्नोर फील कर लिया तो आपको गुस्सा आएगा और यदि अनुकूलता से उस घटना को सहन कर सही प्रत्युत्तर सामने वाले को संतुष्ट कर देता है। मुनिश्री ने कहा कि क्रोध के आवेग में विवेक खो जाता है। अपने विवेक को जाग्रत रखिए और यह भावना रखिए कि मुझे शांत रहना है। इसको बार-बार मन ही मन दोहराइये। बार-बार दोहराने से आपके अवचेतन मन पर इसका असर पड़ता है। क्रोध घर को नरक बनाता है। यदि आप चाहते है कि आपका घर स्वर्ग बने तो सबसे पहले अपने क्रोध पर नियंत्रण लाइए। यदि कोई कुछ कह रहा है तो उसे नजर अंदाज कीजिए। यदि आपके अंदर नजर अंदाज करने की आदत आ गई तो आप बहुत जल्दी अपनी कमजोरियों पर विजय पा सकते है।