इंदौरधर्म-ज्योतिष

ईश्वर के साक्षात्कार के लिए मन की शुद्धि व पवित्रता बहुत जरूरी

जे.के. योग इंदौर सेंटर की मेजबानी में रवीन्द्र नाट्य गृह में चल रही व्याख्यान माला का समापन- स्वामी मुकुंदानंद को विदाई

इंदौर। मन की पवित्रता किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए सर्वोपरि होती है। ईश्वर का साक्षात्कार करने के लिए मन की शुद्धता बहुत जरूरी है। ईश्वर सबके अंदर समान रूप से निवास करते हैं। भगवान उनका भी उद्धार करते हैं, जिनके पास कुछ नहीं है। ईश्वर की भक्ति में जाति या सामाजिक स्थिति कोई मायने नहीं रखती। समाज में जाति और भेदभाव की जंजीरों को तोड़ते हुए संत रविदास ने भक्ति का सरल और सच्चा मार्ग प्रस्तुत किया, जो न केवल ईश्वर की ओर ले जाता है, बल्कि सामाजिक समता और करूणा का भी संदेश देता है।
रवीन्द्र नाट्यगृह में गुरुवार शाम को जे.के. योग इंदौर सेंटर की मेजबानी में पिछले 12 नवंबर से चल रहे व्याख्यान में प्रख्यात संत स्वामी मुकुंदानंद ने संत रविदास से जुड़े जीवन के प्रेरक प्रसंगों की सहज, सरल भाषा में व्याख्या करते हुए कहा कि संत रविदास ने ‘ जो मन चंगा तो कटौती में गंगा’ का संदर्भ देते हुए समझाया कि संत रविदास ने मन की पवित्रता को सर्वोपरि माना। जब मन शुद्ध होता है तब हम हर परिस्थित में ईश्वर का साक्षात्कार कर सकते हैं। जब काशी के कुछ ब्राह्मणों ने उनकी जाति के कारण पूजा करने का विरोध किया तो संत रविदास ने कहा कि जब भगवान को उनकी जाति से कोई समस्या नहीं है तो फिर दूसरों को क्यों होनी चाहिए। उन्होंने अपने समय की सामाजिक रुढ़ियों को चुनौती दी और यह भी सिद्ध किया कि ईश्वर भक्ति में जाति या सामाजिक स्थिति कोई मायने नहीं रखती। उनका भक्ति मार्ग अत्यंत सरल था, लेकिन संदेश गहरा था। उनके भजनों में श्याम सुंदर के प्रति अपार प्रेम झलकता है। वे अपने पदों में भगवान को गरीब नवाज कहकर संबोधित करते हैं और कहते हैं कि भगवान उनका भी उद्धार करते हैं, जिनके पास कुछ नहीं होता।
व्याख्यान के प्रारंभ में जे.के. योग इंदौर सेंटर की ओर से राजेन्द्र माहेश्वरी, गीता भवन के ट्रस्टी रामविलास राठी, महेश गुप्ता, कुशल चौरे, जे.पी. फड़िया आदि ने उनका स्वागत किया। इसके पूर्व सुबह कृषि कालेज और डेली कालेज क्षेत्र में मार्निंग वाक के दौरान स्वामी मुकुंदानंद ने 300 से अधिक नागरिकों को भज गोविंदम और अन्य कीर्तन पर खूब थिरकाया। वे गुमाश्ता नगर स्थित वैष्णव विद्यालय के कार्यक्रम में भी पहुंचे और बच्चों को अपने प्रभावी उदबोधन में नैतिक मूल्यों से जुड़ी अनेक बातें बताई। आज स्वामीजी के इंदौर प्रवास का समापन दिवस रहा। शहर के अनेक संगठनों की ओर से उनका नागरिक अभिनंदन भी किया गया।

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