नहाय-खाय” से शुरू हुआ चार- दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ
छठ पर्व पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की मांग
इंदौर: पूरे देश के साथ-साथ, सम्पूर्ण प्रदेश सहित शहर में भी चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ मंगलवार को ‘नहाय-खाय’ से हुआ। श्रद्धालुओं ने अपने घरों की सफाई कर पूर्ण पवित्रता के साथ स्नान किया। तत्पश्चात मिट्टी के चूल्हे पर व्रतियों ने अपने हाथों से लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल पका कर अत्यंत सात्विकता के साथ ग्रहण कर व्रत की शुरुआत की। इस तरह आज नहाय खाय से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई।
ड्रीम सिटी निवासी सुषमा झा ने कहा कि छठ व्रत में शुरू से ही नहाय खाय के दिन लौकी चावल खाने की परम्परा है. लौकी को सब्जियों में सात्विक माना गया है। लौकी आसानी से पच जाता है और इसमें पानी अच्छी मात्रा में होती है, इसे खाने के बाद काफी समय तक शरीर में उर्जा बनी रहती है. इसलिए छठ व्रत की शुरूआत लौकी चावल खाकर की जाती है।
खरना के साथ आज व्रतियों का शुरू होगा 36 घंटे का निर्जल उपवास।
आज, महापर्व के दूसरे दिन, व्रतधारी ‘खरना’ मनाएंगे। इस अवसर पर दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गन्ने के रस में बनी चावल की खीर, दूध, चावल का पिठ्ठा और घी लगी रोटी का प्रसाद सूर्य भगवान को अर्पित करेंगे और फिर इसे ग्रहण करेंगे। इसके पश्चात् व्रती 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास का पालन करेंगे।
छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी शाम 6 बजकर 8 मिनट पर जलकुण्ड में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे।
फलों से भरा सूप लेकर दिया जाता है संध्या अर्घ्य:
तुलसी नगर निवासी शारदा झा के अनुसार,खरना के बाद वाले दिन में सुबह से ही महिलाएं ठेकुआ, गुजिया, पुड़ी, पुआ सहित अन्य पकवान तैयार करती हैं। ये सारे पकवान मिट्टी के चूल्हे पर पकाए जाते हैं। इसके बाद सूप में फल, ठेकुआ और सारे पकवानों को सजा कर टोकरी में बांध कर घाट ले जाया जाता है। शाम को व्रती सूर्यास्त के समय कमर भर पानी में खड़ी होकर सूर्य देव को फल और पकवान से भरा सूप लेकर संध्या अर्घ्य देती हैं।
महापर्व का समापन 8 नवंबर (शुक्रवार) को प्रातः 6 बजकर 32 मिनट पर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर किया जाएगा।
संध्या अर्घ्य के पश्चात व्रती वापस घर लौट आती हैं. दूसरे दिन सुबह वापस फलों और पकवानों से सूप सजाकर लकड़ी की टोकरी में रख ली जाती है। सूर्योदय से पहले घाट जाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती छठ मैया से सुख समृद्धि की कामना करेंगी , सुबह के अर्घ्य के बाद व्रती घर आकर पारण करती हैं। इसके बाद घाट पर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को को ठेकुए का प्रसाद बांटा जाएगा।
इंदौर के 150 से अधिक छठ घाटों पर भास्कर देव को अर्घ्य।
विजयनगर, बाणगंगा, तुलसी नगर, समर पार्क, सुखलिया, वक्रतुण्ड नगर, संगम नगर, शंखेश्वर सिटी, निपानिया, सिलिकॉन सिटी, एरोड्रम रोड, कालानी नगर, पिपलियाहाना तालाब, और कैट रोड सूर्य मंदिर सहित शहर के 150 से अधिक छठ घाटों पर सूर्य देव को अर्घ्य देने की व्यवस्था की गई है।
प्रकृति की उपासना का पर्व है छठ।
इस महापर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है। हर चीज सात्विक और प्राकृतिक होता है। सूर्य भगवान जो कि साक्षात हैं, उनकी पूजा की जाती है। व्रत में बनने वाला प्रसाद भी सीजनल फल और गेहूं के आटे से बना होता है। बांस के बने सूप में छठ मैया को प्रसाद भोग लगाया जाता है। इस पर्व में गन्ना, सुथनी, कंद, मौसमी, सेव, केला, अनार, नारियल जैसे सीजनल फलों को चढ़ाया जाता है. ये पर्व प्रकृति की उपासना का पर्व है।
पिपलियाहना, निपानिया तालाबों पर स्थायी छठ घाटों के निर्माण की मांग ।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह और महासचिव के.के. झा ने पिपलियाहाना और निपानिया तालाब जैसे प्रमुख घाटों पर स्थायी छठ घाटों के निर्माण की मांग दोहराई है। उन्होंने बताया कि नगर निगम और प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि पूर्वोत्तर भारत की तर्ज पर यहां भी विशाल घाट बनाए जाएं ताकि श्रद्धालु भव्य रूप से महापर्व मना सकें।
छठ पर्व पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की मांग।
संस्थान ने मध्य प्रदेश सरकार से छठ महापर्व के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि प्रदेश में लाखों श्रद्धालु छठ महापर्व मनाते हैं और सार्वजनिक अवकाश मिलने से वे इस त्योहार को और भी श्रद्धा व धूमधाम से मना सकेंगे।