अग्रवाल परिषद द्वारा ‘एक प्यार का नगमा है’
रंगारंग संध्या में कलाकारों का सम्मान
इंदौर। अग्रसेन जयंती महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रृंखला में अग्रवाल परिषद की ओर से गुरुवार रात को रवीन्द्र नाट्य गृह में पार्श्व गायक मुकेश के गाए हुए गीतों की सुमधुर संध्या ‘ एक प्यार का नगमा है ’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अहमदाबाद के मुख्त्यार शाह और बड़ौदा की गायिका स्वप्ना लेले ने अपने मधुर गीतों से श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में अनुभा खाडिकलकर पेंडसे एवं रूपक बुंदेला ने भी अपने गीतों की प्रस्तुतियां दी। इस मौके पर कलाकारों एवं सहयोगी बंधुओं का सम्मान भी किया गया।
खचाखच भरे सभागृह में आलम यह था कि जितने लोग अंदर थे उतने भी बाहर भी। परिषद के अध्यक्ष शिव जिंदल एवं सचिव मनीष खजांची ने बताया कि वरिष्ठ पत्रकार राजेश चेलावत, श्रीमती आशा कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता के.के. गोयल एवं श्रीमती बबीता चेलावत के आतिथ्य में दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम संयोजक अनिल गोयल ने सत्यम शिवम सुंदरम गीत के साथ संचालक मंडल एवं पूर्व अध्यक्षों का संगीतमय परिचय दिया। इसके बाद मुख्त्यार शाह मंच पर आए और उन्होंने श्रोताओं को पूरे समय बांधें रखा। हर गीत पर खूब तालियां भी बजी। ‘ कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ’ जैसे गीत ने तो स्व. मुकेश की याद को एकदम ताजा बना दिया। इसके अलावा ‘ जीना यहां, मरना यहां ’, ‘चांद सी मेहबूबा मेरा’, ‘ओह रे ताल मिले नदी के जल में ’, ‘ एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल’ जैसे सदाबहार गीतों को सुनाकर महफिल लूट ली।
संयोजक अनिल गोयल एवं दिलीप अग्रवाल ने बताया कि शाह ने इंदौर के श्रेताओं को देश का सबसे अच्छा श्रोता बताया और कहा कि यहां आने का बार-बार मन करता है। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा शर्मा ने किया। संगीत संयोजन टीम योगेश पाठक का था। कोरस का संयोजन स्वरांश पाठ ने किया। अतिथियों का स्वागत शिव जिंदल, मनीष खजांची, राजेन्द्र अग्रवाल, निवृत्तमान अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर अग्रवाल केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष राजेश बंसल, विष्णु बिंदल, धर्मेश गोयल, अरविंद बागड़ी, नारायण अग्रवाल 420 पापड़, नंदकिशोर कंदोई, राजेश गर्ग, पार्षद मृदुल अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में अग्रवाल समाज से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उपस्थित थे। गायकों एवं अन्य कलाकारों को स्मृति चिन्ह किशोर गोयल, राजेश अग्रवाल भगतजी,रितेश बंसल, राजेश नागोरी आदि ने भेंट किए। मुख्त्यार शाह ने रात साढ़े 11 बजे ‘ आ अब लौट चले ’ की प्रस्तुति दी, वहीं रूपक और अनुभा के गीतों पर भी रात साढ़े 11 बजे तक श्रोता झूमते रहे। कुल मिलाकर यह संगीत निशा लंबे समय तक श्रोताओं को याद रहेगी।