अपने कर्मों की बैलेंस शीट इस तरह बनाएं कि न तोपूर्वजों से प्रायश्चित करना पड़े, न खुद पर बोझ पड़े
इंदौर, । पाप और पुण्य की परिभाषा सबकी दृष्टि में भिन्न हो सकती है, लेकिन इसका फैसला तो परमात्मा की खाताबही से ही संभव है। इसलिए जीवन में अपने कर्मों की बैलेंस शीट इस तरह बनाएं कि न तो पूर्वजों से प्रायश्चित की नौबत आए और न ही खुद अपनी आत्मा पर कोई बोझ पड़े। कर्म किए बिना संसार का कोई भी जीव सदगति या दुर्गति प्राप्त नहीं कर सकता। कर्म ही पुरुषार्थ का प्रतीक है। जीवन की अंतिम सांस तक हमें कर्म करना पड़ता है। याद रखें कि पाप और पुण्य हस्तांतरणीय नहीं है। पूर्वजों के शुभाशीष हमारे शुभ संकल्पों में दृढ़ता लाते हैं।
हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में सुबह तर्पण अनुष्ठान में 500 से अधिक साधकों ने भाग लिया। भगवान हरि विष्णु का पूजन अध्यक्ष हरि अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सोनी, महासचिव डॉ. चेतन सेठिया, राजेन्द्र गर्ग, सूरजसिंह राठौर, शंकरलाल वर्मा, हरिनारायण विजयवर्गीय, महेन्द्र विजयवर्गीय, अनिल सांगोले आदि ने किया।
दोपहर में पितृ मोक्षदायी भागवत में आचार्य पं. गौरव तिवारी ने कहा कि भागवत का सीधा सा संदेश यही है कि हम अपने मन को सन्मार्ग की ओर ले जाएं। कलियुग में सन्मार्ग पर चलना और सत्य बोलना बहुत कठिन काम है। हम खुद भी झूठ बोलते हैं और अपने बच्चों को भी यही काम सिखा रहे हैं। श्राद्ध पक्ष में यदि हम क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकारों को छोड़ दें तो आत्मा भी निर्मल हो जाएगी और हमारे पितरों को भी मोक्ष मिल जाएगा। पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण, श्राद्ध और भागवत कथा के श्रवण जैसे अनुष्ठान शास्त्रों में बताए गए हैं। उन पर पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ अमल करना चाहिए। कथा में शनिवार, 28 सितम्बर को दोपहर 3 से 6 बजे तक कथा के दौरान कृष्ण जन्मोत्सव मनेगा।
*निशुल्क तर्पण अनुष्ठान जारी* – आज भी तर्पण अनुष्ठान में 500 से अधिक साधकों ने भाग लिया। यहां आने वाले साधकों को सभी तरह की पूजन सामग्री निःशुल्क दी जा रही है और प्रतिदिन देश के शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, गो माता तथा होलकर शासकों के लिए भी मोक्ष की कामना की जा रही है। तर्पण