इंदौरधर्म-ज्योतिष

नशा करना ही है तो धर्म का करो –विजयवर्गीय

हंसदास मठ पर चल रहे तर्पण अनुष्ठान में पहुंचे मंत्री

500 से अधिक साधकों को दिलाई शपथ
इंदौर। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एरोड्रम रोड, पीलिया खाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में श्राद्ध पक्ष के उपलक्ष्य में चल रहे तर्पण अनुष्ठान में मौजूद 500 से अधघिक साधकों को शपथ दिलाई कि वे नशाखोरी के खिलाफ समाज में जागरुकता और चैतन्यता बनाएंगे, बल्कि नशा करने वाले युवाओं के माता-पिताओं को भी समझाएंगे कि वे नशाखोरी की इस घातक प्रवृत्ति से अपने बच्चों को बचाएं और उन्हें धर्म एवं संस्कृति से जोड़ें। जहां कहीं नशाखोरी की जानकारी मिलेगी, तुरंत पुलिस को सूचित करेंगे। युवाओं को नशा करना ही है तो धर्म का नशा करें, जो कभी नहीं उतरेगा।
विजयवर्गीय गुरुवार को सुबह तर्पण अनुष्ठान में पहुंचे और वहां तर्पण कर रहे साधकों को देखकर उन्होंने भागवताचार्य पं. पवन तिवारी एवं समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल से आग्रह किया कि वे भी साधकों को संबोधित करना चाहते हैं। इसके बाद विजयवर्गीय ने हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज और सिवनी से आए 108 वर्षीय संत शिरोमणि दादा ओमेश्वरनाथ योगीराज दत्तात्रय एवं जूना अखाड़ा उज्जैन के महंत महेश गिरि को भी आमंत्रित कर उनकी मौजूदगी में नशाखोरी के खिलाफ शपथ दिलाई। उन्होंने समिति के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मलीन मोहनलाल सोनी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनका भी शिद्दत से स्मरण किया।  इसके पूर्व आचार्य पं. पवन तिवारी के निर्देशन में समिति के पदाधिकारियों, अध्यक्ष हरि अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, महासचिव डॉ. चेतन सेठिया, राजेन्द्र गर्ग, सूरजसिंह राठौर, हरिनारायण विजयवर्गीय, महेन्द्र विजयवर्गीय,अशोक गोयल आदि ने भगवान हरि विष्णु का पूजन किया। विजयवर्गीय ने तर्पण अनुष्ठान में प्रतिदिन सुबह 5 बजे से आकर साधकों के लिए थाली सजाने और पूजन सामग्री की व्यवस्था करने वाले पुरुषोत्तम मेड़तवाल, वरुण शर्मा, अरविंद भैया, राकेश भैया, अनिल सांगोले, आशीष जैन, राजकुमार मिश्रा, अशोक बंग, अशोक नामदेव, हरीश नागोरी आदि को शाल-श्रीफल भेंटकर उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया। 
*पितृ मोक्षदायी भागवत* – हंसदास मठ पर आचार्य पं. गौरव तिवारी के श्रीमुख से पितृ मोक्षदायी भागवत का अनुष्ठान भी प्रतिदिन दोपहर 3 से  6 बजे तक चल रहा है। कथा में उन्होंने कहा कि भागवत के श्रवण से जीवन के कई संशयों का समाधान हो जाता है।भागवत कथा को अमृत कहा गया है, जिसके पान करने से मनुष्य महापाप से भी मुक्त हो सकता है।

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