केवल भारतीय संस्कृति में ही प्रावधान है कि हम बुरेकर्मों का प्रायश्चित कर उस पाप से मुक्त हो सकते हैं
सनातन धर्म की रक्षा की शपथ
आज से दोपहर में पितृ मोक्षदायी भागवत
इंदौर। कोई भी पितर अथवा पूर्वज अपनी संतान का बुरा नहीं चाहते, लेकिन उनकी आत्मा की शांति एवं मोक्ष के लिए हम यदि तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से जाने-अनजाने में उनके प्रति किए गए अपराध के लिए अपने कर्मों का प्रायश्चित कर सकें तो इससे श्रेष्ठ कोई काम नहीं हो सकता। केवल भारतीय संस्कृति में ही ऐसे शास्त्रोक्त प्रावधान है कि हम अपने बुरे कर्मों या आचरण का प्रायश्चित कर उस पाप से मुक्त हो सकते हैं। तर्पण वह क्रिया है, जिसमें दिवंगतों के साथ हमारा भी कल्याण निहित है, क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी हमारे लिए यह सब करना सीखेगी।
एयरपोर्ट रोड, पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मंठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति की मेजबानी में चल रहे श्राद्ध पर्व में मंगलवार को भागवताचार्य पं. पवन तिवारी ने ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। हंसदास मठ के महामंडलेश्वर हंस पीठाधीश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज, आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री, म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक एवं मानपुर के वैदिक उपासना आश्रम की साध्वी तनूजा ठाकुर के सानिध्य में आज करीब 500 साधकों ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए शपथ ग्रहण की। तर्पण अनुष्ठान का शुभारंभ भगवान हरि विष्णु के पूजन के साथ हुआ। पं. पवन तिवारी ने दिवंगत पूर्वजों, और गोमाता के लिए भी मोक्ष की कामना के साथ विश्व शांति एवं जन मंगल के लिए अनुष्ठान कराए। तर्पण में आज 500 से अधिक साधकों ने भाग लिया। प्रारंभ में समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सोनी, महासचिव डॉ. चेतन सेठिया, राजेन्द्र गर्ग, शंकरलाल वर्मा, माणकचंद पोरवाल, विनय जैन, मुरलीधर धामानी, उमेश गेहलोद, गिरधर सोनी, महेन्द्र विजयवर्गीय आदि ने पं. तिवारी का स्वागत किया। आरती में राजकुमारी मिश्रा, रानीलता सेठिया, ज्योति शर्मा, मंजू सोनी, गीता विजयवर्गीय, अनिल सांगोले सहित बड़ी संख्या में मातृशक्तियों ने भी भाग लिया। संचालन साहित्यकार हरेराम वाजपेयी एवं हरि अग्रवाल ने किया। आभार माना राजेन्द्र सोनी ने।