पूर्वजों के आशीष में होती है बहुत ताकत – लोकेशानंद
सात दिवसीय ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ – 51 विद्वानों द्वारा मूल पारायण

एमआर-10, रेडिसन चौराहा स्थित दिव्य शक्तिपीठ पर
इंदौर। श्राद्ध पक्ष में भागवत कथा के दिव्य अनुष्ठान से जीवन की दशा और दिशा में बदलाव अवश्य आएगा। श्राद्ध पक्ष में इस कथा का इतना महत्व जरूर समझ लीजिए कि यह कथा आपके पित्तर भी सुनने आएंगे और इसकी अनुभूति भी आपको कहीं न कहीं स्वप्न में अथवा व्यवहार में जरूर होगी। पूर्वजों के आशीष में बहुत ताकत होती है। उनके आशीष हमें समृद्धि और सदभाव के रास्ते पर आगे बढ़ाएंगे।
ये प्रेरक विचार हैं श्रीनारायण भक्ति पंथ के प्रमुख स्वामी लोकेशानंदजी महाराज के, जो उन्होंने सोमवार को एमआर-10 रेडिसन चौराहा स्थित दिव्य शक्तिपीठ के सभागृह में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ प्रसंग पर व्यक्त किए। दिव्य शक्तिपीठ परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा भी निकाली गई। इस अवसर पर दुर्गेश-निशा अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, महेन्द्र अग्रवाल एवं आयोजन समिति की ओर से संतोष अग्रवाल, भारत मीरचंदानी, प्रसन्ना चांडक, सीताराम मित्तल, मणिकांत गुप्ता, मनीष गोयल एवं संजय गर्ग ने व्यासपीठ का पूजन किया। आज से प्रारंभ हुआ यह दिव्य अनुष्ठान 29 सितम्बर तक दोपहर 3 से 6 बजे तक दिव्य शक्तिपीठ के सभागृह में आयोजित होगा। कथा के साथ 51 विद्वान भागवत का मूल पारायण भी कर रहे हैं। श्राद्ध पक्ष में इतने विद्वानों द्वारा मूल पाठ एवं भागवत की स्थापना का शहर में यह पहला आयोजन हो रहा है।
स्वामी लोकेशानंद ने कहा कि भागवत को हमने कल्प वृक्ष भी कहा है। भागवत कथा के श्रवण से अनुग्रह का रास्ता खुलता है। कल्प वृक्ष से कामना करेंगे तो पूर्ति होगी ही। कथा के श्रवण से विश्वास मजबूत होता है। शंकर और पार्वती विश्वास और श्रद्धा के प्रतीक हैं। भागवत संसार के भय से मुक्ति दिलाने की कथा का नाम है।