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राहुल गांधी द्वारा आरक्षण पर दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर किया पत्रकार वार्ता को संबोधित

मोदी ने कहा है कि कांग्रेस के लिए संविधान राजनीतिक साधन हो सकता है, लेकिन हमारे लिए संविधान श्रद्धा और आस्था का केंद्र - तुलसी सिलावट

जावरा कंपाउंड स्थित भाजपा कार्यालय पर कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट ने किया पत्रकार वार्ता को संबोधित

प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि भारतीय संविधान हमारे लिए राष्ट्रीय ग्रंथ है और उनके रहते संविधान और आरक्षण को खरोंच भी नहीं आएगी-तुलसी सिलावट

इंदौर । जावरा कंपाउंड स्थित भाजपा कार्यालय पर कैबिनेट मंत्री श्री तुलसी सिलावट राहुल गांधी द्वारा आरक्षण पर दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर पत्रकार वार्ता को संबोधित किया श्री तुलसी सिलावट ने कहा कि कांग्रेस का आरक्षण, संविधान, डॉ अंबेडकर विरोधी इतिहास राहुल गांधी ने अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान कहा है कि वह “आरक्षण हटा देंगे”।
ये वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है। कांग्रेस पार्टी ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया, लेकिन इस दौरान उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया और सामाजिक उद्देश्यों की उपेक्षा की कांग्रेस ने कभी भी संविधान के मूलभूत आरक्षण सिद्वांतों को सही भावना और रूप में लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

सिलावट ने आगे कहा कि नेहरू सरकार ने 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया साथ ही नेहरू ने 1961 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है‌ वहीं नेहरू ने डॉ अंबेडकर के सामाजिक व राजनैतिक जीवन को समाप्त करने का षड्यंत्र किया। 1952 में लोकसभा चुनाव और 1954 में लोकसभा उपचुनाव में डॉ अंबेडकर को हराने का पाप किया।धारा 370 और 35 a को समाप्त कर जम्मू कश्मीर के अनुसूचित जाति वर्ग को 70 वर्ष बाद सामाजिक न्याय व सम्मान देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

इसी तरह 1975 में इंदिरा गांधी जी ने आपातकाल लगाकर संविधान की आत्मा को कुचला था। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की। 1966 से 1977 तक, संविधान में 25 बार संशोधन हुआ। 42वें संशोधन में 41 अनुच्छेदों में संशोधन और 11 नए अनुच्छेद जोड़े गए।

2014 के बाद मोदी जी के कार्यकाल में संविधान में केवल आठ बार संशोधन हुआ था, यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। तुलसी सिलावट ने कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की शुरुआत। 2019 में वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन।2019 में लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण का 10 वर्षों के लिए विस्तार किया गया। 2021 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची में परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान किया गया।
इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गांधी ने 3 मार्च 1985 को एससी आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि आरक्षण के माध्यम से हमे बुद्बुओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में आरक्षण का पुरजोर विरोध किया और मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की, जो बाबासाहेब के मूल संविधान के खिलाफ था।अल्पसंख्यक संस्थान और आरक्षण जामिया मिलिया (2011) और एएमयू (1981) जैसे सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ों को आरक्षण देने से इनकार कर दिया गया। 93वें संवैधानिक संशोधन (2005) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को आरक्षण प्रदान करने से छूट दी गई। इस एक कदम से सैकड़ों संस्थानों से पिछड़े समुदायों के अधिकार छीन लिए गए।देश 1947 में आजाद हुआ, 57 वर्ष केंद्र में कांग्रेस सरकार रहते हुए संविधान दिवस नहीं बनाया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2015 से शासकीय स्तर पर संविधान दिवस मनाना चालू किया। उसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2015 में संसद के दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा (discussion) कराने का निर्णय किया, जिसका
कांग्रेस ने विरोध किया। 2010 में, जब संविधान के 60 वर्ष पूरे हुए, तो गुजरात में अपने कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान गौरव यात्रा आयोजित की। इस यात्रा में संविधान की प्रति को हाथी के मस्तक पर रखकर पूरे शहर में निकालकर सम्मानित किया गया। कांग्रेस ने संविधान को अपनाने के बाद 90 मौकों पर निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया, जिससे संविधान का मजाक उड़ाया गया। डॉ. अंबेडकर और संविधान सभा ने संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण को मान्यता नहीं दी थी, फिर भी OBC कोटा से आंध्र प्रदेश में 4%, केरल में 8% और तमिल नाडु में 3.5% आरक्षण मुस्लिम समुदाय को देकर संविधान का उल्लंघन किया।

कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट ने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा डॉ भीमराव अंबेडकर का अपमान अनेको बार किया गया कांग्रेस ने अपनी सरकारों में कभी भी बाबासाहेब का तैल चित्र संसद में नहीं लगने दिया न ही उन्हें कभी भारत रत्न देने का विचार किया।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ‘कल्याण मंत्रालय’ को ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के रूप में बदला। उन्होंने कहा कि एक असमान समाज में जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग अभी भी ऐतिहासिक अक्षमताओं से पीड़ित हैं, वे जो चाहते हैं वह सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण है, न कि केवल कल्याण। मंत्रालय का नाम बदलने का हमारा निर्णय कल्याण की अवधारणा की तुलना में समानता और सामाजिक-आर्थिक मुक्ति के मूल्यों के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्वता द्वारा निर्देशित है। बाबासाहेब के जीवन से जुड़े सभी ऐतिहासिक स्थलों को केवल भूमि व स्थल न मानकर अपितु उनको तीर्थस्थल का सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दिया। बाबासाहेब के जीवन से जुड़ी पाँच महत्वपूर्ण स्थानों को भाजपा सरकारों ने विकसित किया। पंचतीर्थ में – महू में डॉक्टर अंबेडकर की जन्मभूमि, लंदन में शिक्षा भूमि, नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली का महापरिनिर्वाण स्थल और मुंबई में चैत्य भूमि शामिल है। पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के प्रयास से ही 1990 में बाबासाहब डॉ अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
अनुसूचित जाति पर अध्ययन, अनुसन्धान, विश्लेषण और नीति निर्माण करने के लिए डॉ अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2017 में की। बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर को स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भीम ऐप का शुभारंभ किया, जिससे निम्न, मध्यम वर्ग के व्यापारियों, किसानों, गरीबों को ताक़त प्रदान की गयी।कांग्रेस ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया है लेकिन नागरिकों को बिजली, पानी, बैंक खाते, शौचालय, घर आदि जैसी बुनियादी सेवाएं प्रदान नहीं की गईं। हमारी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बाबासाहेब के सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के दृष्टिकोण को पूरा करने का प्रयास किया है।
सिलावट ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई अवसरों पर कह चुके हैं कि भारतीय संविधान हमारे लिए राष्ट्रीय ग्रंथ है और मेरे रहते संविधान और आरक्षण को खरोंच भी नहीं आएगी इतना ही नहीं माननीय मोदी जी ने कहा है कि कांग्रेस के लिए संविधान राजनीतिक साधन हो सकता है, लेकिन हमारे लिए संविधान श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।

राज्य मंत्री गौतम टेटवाल, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी दीपक जैन टीनू, मीडिया प्रभारी रितेश तिवारी एवं सह मीडिया प्रभारी नितिन द्विवेदी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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