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युवतियों द्वारा जो गर्भपात कराया जाता है वह महापाप की श्रेणी में आता है – मुनिश्री प्रमाण सागर

उत्तम ब्रह्मचर्य दिवस पर मुनिश्री ने युवाओं को दी समझाईश, श्रावक-श्राविकाओं को गृहस्थ अवस्था के साथ ही दो शपथ भी जैन धर्मावलंबियों को दिलाई

रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में जारी चातुर्मासिक प्रवचन में प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रावक-श्राविकाएं

इन्दौर । उन्मुक्त योनाचार (लिव इन रिलेशनशिप) को कानूनी मान्यता मिलने से शील सदाचार और संयम नष्ट हुआ है। वर्तमान समय में युवक-युवतियों की उच्च शिक्षा की बढ़ती चाह और विवाह की बढ़ती हुई उम्र इसके लिए जिम्मेदार है। सही समय पर विवाह सबंध न होने से उनके कदम उन्मुक्त योनाचार की ओर बढ़ रहे है। आजकल के युवक-युवतियों में विवाह भले ही न हो लेकिन जो संबंध विवाह के पश्चात होना चाहिए। वह पहले से ही हो जाते है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह बात आपको चुभ रही हो, लेकिन यह सत्य है क्योंकि जब युवक-युवतियां भटक जाते हैं, तो जो बात वह अपने माता-पिता या सगे सबंधियों को नहीं बता पाते। वह बात गुरु के पास आकर बता जाते है और उसी आधार पर में यह बात कह रहा हूँ।

उक्त विचार मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने पर्युषण पर्वराज दशलक्षण धर्मवृत्त के अंतिम दिवस उत्तम ब्रह्मचर्य दिवस पर श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने अपने प्रवचन में आगे कहा कि आज की तारीख में 10 में से नौ के हाल बेहाल है। जब पिछले दिनों कार्यशाला संपन्न हुई तो उन्होंने अपने कन्फेशन में इस बात को स्वीकार किया कि मर्यादा टूट चुकी है। उन्होंने कहा कि आजकल वातावरण ऐसा बना दिया गया है कि लोगों को संभलना मुश्किल हो गया है। शास्त्रों में लिखा है कि तरुण अवस्था में इन्द्रियों का निग्रह कर पाना कठिन होता है। एक साथ तीसरी चौथी क्लास से साथ में बैठना, साथ में पढऩा, साथ में कोचिंग करने से एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता है और फिर आज के समय में मोबाईल ने उन बच्चों को पूरी तन्हाई प्रदान कर दी। जिसका परिणाम मर्यादाओं का हनन है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म की कोई खुराक तो मिलती नहीं आत्मबोध न होने से उनके जीवन में भटकाव आ जाता है, और भटकाव से बचने का एक ही रास्ता है उनको आध्यात्मिक और नैतिकता की शिक्षा दी जाए।

धर्म प्रभावना समिति एवं प्रचार प्रमुख राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड), नवीन-आनंद गोधा, अशोक-रानी दोषी, हर्ष जैन एवं प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में जारी चातुर्मासिक प्रवचनों की अमृत श्रृंखला में मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज का पाद-पक्षालन का लाभ राहुल-शिल्पी जैन एवं धर्मेंद्र-संध्या जैन (सिनकेम) परिवार को प्राप्त हुआ। वहीं बुधवार को अनंत चतुर्दशी के अवसर पर मोहता भवन में कलश स्थापना की गई जिसमें बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी शामिल हुए। राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड) ने बताया कि प्रात: काल 5 बजे भावनायोग एवं भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा मुनिश्री के मुखारविंद से संपन्न हुई। श्रावक संस्कार शिविर के निर्देशक बाल ब्रह्मचारी अशोक भैया एवं बाल ब्रह्मचारी अभय भैया के निर्देशन में नित्य-नियम पूजन, पर्व पूजन एवं उत्तम ब्रहम्चर्य विधान संपन्न कराया गया। दोपहर के सत्र में तत्वार्थसूत्र का वाचन एवं स्वाध्याय तथा दोपहर 3 बजे से मुनिश्री के मुखारविंद से 55 मिनट की महाशांति धारा संपन्न हुई। सांयकाल मुनिश्री द्वारा शंका समाधान शिविर लगाया गया जिसमें सभी जैन धर्मावलंबियों की जिज्ञासाएं शांत की। मंगलवार को प्रवचन के दौरान मुकेश-विजय पाटौदी, धर्मेंद्र जैन (सिनकेम), पवन सिंघई, विशाल जैन (नसिया), डीके जैन, अपूर्व सतभैय्या, नीरज जैन, अनिल बांझल, मनोज-अनामिका बाकलीवाल, रितेश पाटनी, दिलीप पाटनी, दिलीप गोधा, संदीप गंगवाल, ऋतुल अजमेरा, विपुल अजमेरा सहित बड़ी संख्या में समग्र दिगंबर जैन समाज बंधु मौजूद थे।

लालसाओं को नियंत्रण करना जरूरी

मुनिश्री ने आगे कहा कि जिस प्रकार की घटनाएं शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में घट रही है सरेआम किडनैपिंग और व्याभिचार की घटनाओं से मुक्ति नही पाई जा सकती है। मात्र फांसी पर चड़ा देने से व्याभिचार नहीं रूकेगा। उन्होंने विनोबा जी की पक्तियों को दोहराते हुए कहा कि कानून के बल पर हम वैश्यावृत्ति को बंद कर सकते है, लेकिन हर किसी में मां और बहन का रूप केवल धर्म ही दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का विकास होंना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि दुष्प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखना जरूरी है। अपनी लालसा को नियंत्रण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मनुष्य पर्याय बड़ी मुश्किलों से मिली है, यदि आप अपने जीवन को पवित्र और पावन रखना चाहते हो तो भोगाशक्ति को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि विवाह का उद्देश्य वासना का निमंत्रण नहीं वासना पर नियंत्रण है। इसीलिये शास्त्रों में योन सदाचार का पालन करने के लिए कहा गया है। जो लोग गृहस्थ अवस्था में रहते हुए स्वदार संतोष व्रत का पालन करते है वह भी ब्रह्मचारी है। मुनिश्री ने धर्मसभा में तथा पारस जिनवाणी चैनल के माध्यम से सुन रहे सभी बंधुओं को शपथ दिलाते हुए कहा कि आज आप सभी लोगों को दो शपथ लेना है कि विवाह-पूर्व कोई संबंध नहीं बनाऊंगा और विवाह के पश्चात अपनी पत्नी को छोडक़र संसार की सभी स्त्रियों में मां-बहन का रूप देखूंगा। उन्होंने अनचाही परिस्थितियों में युवतियों द्वारा जो गर्भपात कराया जाता है यह महापाप की श्रैणी में आता है। इससे वह आने वाली संतान से वंचित हो जाती है। इससे बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे भी समय से पहले व्यस्क हो जाते है। देखने में आ रहा है कि 12-13 साल के बच्चे वह सभी बातें जान जाते हैं, जो उनको विवाह के पश्चात जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि तरुण अवस्था में इन्द्रियों का निग्रह करना बहुत कठिन होता है। इसलिए इस अवस्था में उनको संभालना बहुत आवश्यक है खासकर के हमारी बेटियों को जो कि इस उन्मुक्त वातावरण के प्रभाव में बहुत जल्द आ जाती है। इस अवसर पर मुनिश्री निर्वेग सागर एवं मुनिश्री संधान सागर सहित समस्त क्षुल्लक महाराज मंच पर आसीन रहे।

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