भारतीय लोकसभा को तर्ज पर युवा ज्योतिष संसद में ज्योतिषियों ने किए शास्त्रार्थ
ज्योतिष वास्तु का सही ज्ञान अध्ययन जीवन में श्रेष्ठतम अवसर उत्पन्न करता है
विभिन्न राज्यों और विश्वविद्यालयों से आए स्कालर्स ने ज्योतिर्विज्ञान के विषयों पर पढ़े शोधपत्र
— खगोल का प्रभाव भूगोल पर, प्राचीन काल में आपदाओं से निपटने के लिए बनती थी योजनाएं
** इंदौर में लगा युवा ज्योतिष और वास्तुविदों का जमावड़ा
— अद्भुत अनुपम ज्ञानवर्धक आयोजन श्रोता व विद्वानों की भ्रांतियां का भी हुआ समाधान
इन्दौर। वैदिक ऋषियों ने ग्रहों की चाल का अध्ययन करने की पद्धति का विकास किया। इसे ही ज्योतिष कहा जाता है। उन्होंने ये सिद्ध किया था कि खगोल का प्रभाव भूगोल पर भी पड़ता है। इसके माध्यम से ही प्राचीन काल में प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की योजनाएं बनाई जाती थीं, जो सार्थक होती थीं। ज्योतिष वास्तु इसी प्राचीन ज्ञान का उपयोग कर हम आज भी हमारे जीवन के लिए श्रेष्ठतम अवसर बना सकते हैं।
ज्योतिष वास्तु का उपयोग भारत को विभिन्न आधुनिक विषयों जैसे, पर्यावरण सुधार, जल प्रबंधन, नगर संरचना, बांध निर्माण, सैन्यरक्षा और चिकित्सा प्रणाली आदि में भी करना चाहिए। ज्योतिष एक ऐसा शास्त्र है जो समस्त समाज को आगे बढ़ाने के लिए उपयोगी है। इसके उपयोग से हम सर्वविध उन्नति कर सकते हैं।
यह विचार रविवार को इंदौर अभिनव कला समाज सभागृह में विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों से आए ज्योतिषियों ने व्यक्त किए। वे यहां तत्त्व वेलफेयर सोसायटी तथा शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर के संयुक्त तत्त्वावधान में ज्योतिष एवं वास्तु विषय पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शोधात्मक विचार प्रस्तुत कर रहे थे। रविवार कार्यक्रम युवाओं पर केंद्रित था तथा इसमें भारतीय संसद को तर्ज पर भी प्राचीन प्रमाणों के आधार पर शास्त्रार्थ भी किए गए, इसलिए इसे युवा ज्योतिष संसद नाम दिया गया था।
इसमें देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी तथा ज्योतिष- वास्तु के विद्वान समसामयिक विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, सुबह से शाम तक वेद रिचाओं की सूक्तियां, संस्कृत, मानस की चौपाइयां से माहौल गूंज मान रहा।
संगोष्ठी के समन्वयक डॉ अभिषेक पांडेय तथा गोपालदास बैरागी ने बताया कि मुख्य अतिथि महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के सचिव विरुपाक्ष वी जड्डीपाल थे। अध्यक्षता पूर्व राज्यमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व ब्राह्मण समाज संघ पं. योगेंद्र महंत ने की। विशेष अतिथि सांसद शंकर लालवानी, विधायक गोलू शुक्ला, प्राचार्य डॉ.तृप्ति जोशी, पाणिनि विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष उपेंद्र भार्गव, मप्र ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष रामचंद्र शर्मा वैदिक, संगोष्ठी निदेशक डॉ विनायक पाण्डेय, भुवनेश्वरी ज्योतिष केंद्र के संचालक संतोष भार्गव, विप्र जगत के संपादक विजय अडीचवाल थे।
अतिथि स्वागत डॉ विमला गोयल, प्रो वंदना नाफेड, डॉ उषा गोलाने, डॉ मीनाक्षी नागराज, योगेंद्र वर्मा, टीकाराम टाकले, विनीत त्रिवेदी, राहुलकृष्ण शास्त्री, गिरीश व्यास, राकेश राठौर, जितेंद्र जोशी, नारायण वैष्णव, आर्यन शर्मा, जुगल बैरागी, तन्मय भट्ट, राजकुमार आचार्य आदि ने किया।
एक देश… एक तिथि… एक दिन हो… पं योगेंद्र महंत
पं. योगेंद्र महंत ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति का देश है हमारे यहां आक्सर ऐसी स्थिति निर्मित होती है जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति मे आ जाते है आज आवश्यकता है पंचांग और कैलेंडर के जानकारी को एकत्रित करने की, जिससे कि एक देश, एक दिन मे एक तिथी निर्धारित किया जा सके जिससे कि आमजन में भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी और तिज त्यौहार भी उत्साह के साथ मनाए जा सकेंगे।
संगोष्ठी में देश के राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, मुंबई, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा आदि से कई प्राध्यापकों अनुसंधानकर्ताओं ने ज्योतिषी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अब तक देश के विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों से लगभग 147 युवा ज्योतिषी तथा वास्तुविद इस संगोष्ठी के सहभागी बने।
इनमें से कई विद्वान तीन अलग-अलग सत्रों में विभिन्न विषयों पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए कार्यक्रम में देश के पंचांग निर्माताओं भी अपने पंचांगों की विशिष्टता पर प्रकाश डाला।
– शकुन शास्त्र, कृष्णमूर्ति पद्धति के जानकार भी आए
सम्मेलन में ज्योतिष और वास्तु के संबंधित विभिन्न भ्रमों का निवारण भी किया । साथ ही ज्योतिष की विभिन्न विधाओं जैसे फलित ज्योतिष, चिकित्सा ज्योतिष अंकशास्त्र, हस्तरेखा शास्त्र, शकुनशास्त्र, कृष्णमूर्ति पद्धति, फेंगशुई, टैरोकार्ड, रमलशास्त्र, वास्तुशास्त्र के देशभर के मूर्धन्य विद्वान सम्मिलित हुए।
इन विषयों पर प्रस्तुत हुए प्रमुख रिसर्च पेपर
– पितृ दोष– संतान उत्पत्ति में रुकावट
– नि:संतनता का प्राचीन पद्धति से उपाय
– मन की चंचलता और एकाग्रता के लिए चंद्रमा प्रभावकारी
– तलाक के कारण… सप्तम भाव में राहु शनि का आना, लग्न में सूर्य शुक्र का होना
-अवैध संबंध या लिवइन रिलेशनशिप, शुक्र का दूषित होने के साथ राहु का पीड़ित होना
–गृह कलेश ओर वास्तु दोष
– मंगल दोष नहीं योग… 60 फ़ीसदी पत्रिका मांगलिक इसे डरने की आवश्यकता नहीं
– रोजगार और कैरियर सृजन में ज्योतिष सहायक- मार्गदर्शक पथ प्रदर्शक