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मध्य प्रदेश के बच्चों के अच्छे रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए जरुरी है नेब्युलाइज़र का उपयोग-ओमरॉन हेल्थकेयर

इंदौर, । मध्य प्रदेश के बच्चों में सांस संबंधी बीमारियाँ जैसे अस्थमा, निमोनिया और सीओपीडी लगातार बढ़ती जा रही हैं। यह बीमारियां न सिर्फ उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव डालती है बल्कि उनके परिवारों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को भी प्रभावित करती हैं।

विश्व स्तर पर, एक्यूट रेस्पीयरट्री इन्फेक्शन (एआरआई) (मुख्य रूप से निमोनिया) के कारण 5 वर्ष से कम उम्र के 20% बच्चों की मृत्यु हो जाती है। वही नवजात को होने वाले निमोनिया के आंकड़े देखे जाए तो पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 35-40% तक बढ़ जाती है, जिससे प्रति वर्ष 2.04 मिलियन मौतें होती हैं।

रिपोर्ट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी, 1990-2021) के अनुसार, 2021 तक – मध्य प्रदेश में 2-9 वर्ष की आयु के 389,468 बच्चे और 10-19 वर्ष की आयु के 392,251 बच्चे अस्थमा से पीड़ित थे और 15-19 वर्ष की आयु के 27,954 बच्चे सीओपीडी से पीड़ित हैं। यह डेटा स्थिति की गंभीरता और इस समस्या के तत्काल समाधान की आवश्यकता को दर्शाता है। रेस्पिरेटरी डिजीज से पीड़ित बच्चों के भविष्य पर बुरा प्रभाव हो सकता हैं। पुरानी श्वसन स्थितियों के कारण उनकी स्कूल में अनुपस्थिति बढ़ सकती है, जिससे उनका शैक्षणिक प्रदर्शन, सामाजिक संपर्क और विकास प्रभावित हो सकता हैं। कमजोर इम्यून सिस्टम के साथ बाहर खेलने की आदत उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम को ट्रिगर या खराब कर सकती हैं। जिससे उन्हें सामान्य बीमारियों में नाक बंद होना, इन्फ्लूएंजा और ह्यूमिडिटी और एलर्जी हो सकती है और यह अस्थमा के अटैक में बढ़ोत्त्तरी का कारण बन सकती है।

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए नेब्युलाइज़र रेस्पिरेटरी सिस्टम के मैंनेजमेंट के लिए एक जरुरी उपकरण के रूप में उभरा हैं। ये यह उपकरण लिक्विड मेडिसिन (डॉक्टरों द्वारा निर्धारित) को एक महीन धुंध में बदल देता हैं, जिससे दवाई फेफड़ों तक सीधे और सही तरह से पहुंचती है। प्रशासन की यह विधि विशेष रूप से उन बच्चों और व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है जिन्हें इन्हेलर का उपयोग करने में कठिनाई हो सकती है।

होम हेल्थ मॉनिटरिंग डिवाइस के अग्रणी प्रदाता ओमरॉन हेल्थकेयर इंडिया के पास रेस्पेरेटरी समस्याओं का ध्यान रखने और विशेष रूप से बच्चों में रोग प्रबंधन में सुधार के लिए कुशल दवा वितरण के लिए नेब्युलाइज़र की एक विस्तृत श्रृंखला है। नेब्युलाइज़र, फेफड़ों की दवा की तुरंत डिलीवरी में सटीकता के कारण, अस्थमा और सीओपीडी आदि जैसी रेस्पिरेटरी से संबंधीत बीमारियों के मैनजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

ओमरॉन हेल्थकेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक, श्री तेत्सुया यामादा ने कहा, “गंभीर वायु प्रदूषण और अन्य कारणों से 2021 तक अस्थमा रोगियों की संख्या 31.8 मिलियन थी, और सीओपीडी रोगियों की संख्या 36.1 मिलियन थी, कुल मिलाकर लगभग 68 मिलियन व्यक्ति इससे प्रभावित थे। इसके अलावा 1990 में अस्थमा से मरने वालों की संख्या 120,552 थी, जो 2021 तक बढ़कर 203,037 हो गई है और सीओपीडी से संबंधित मौतों में भी इजाफा हुआ है। सीओपीडी से होने वाली मौतों की संख्या 1990 में 421,811 थी जो 2021 में 1,081,093 हो गई है।”

उन्होंने आगे कहा, “नेब्युलाइज़र जैसे उच्च गुणवत्ता वाले डिवाइस में क्वालिटी, एक्यूरेसी और सुविधा प्रदान करने के साथ ही ओमरॉन का लक्ष्य परिवारों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए सशक्त बनाना है जहां हमारे “गोइंग फ़ॉर ज़ीरो” मिशन के अनुरूप रेस्पीयरट्री संबंधी विकारों की घटनाएं कम से कम हों।

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