इंदौरमध्यप्रदेश

देश की आर्थिक प्रगति के लिए जिलों को विकास की धुरी बनाना होगा

इंदौर । भारत सरकार के नीति आयोग के फेलो एवं वरिष्ठ अर्थशास्त्री आशीष कुमार ने कहा कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए जिलों को विकास की धुरी बनाना होगा । मध्य प्रदेश में इंदौर और भिंड के बीच प्रति व्यक्ति आय में पैदा हो रही खाई को पाटना जरूरी है ।

वे आज यहां अभ्यास मंडल की 63वीं व्याख्या माला के पहले दिन श्रोता बिरादरी को संबोधित कर रहे थे । इसके पहले सांसद शंकर लालवानी एवं वरिष्ठ अभिभाषक तथा व्याख्यान वाला समिति के अध्यक्ष अशोक चितले ने दीप प्रज्वलित कर व्याख्यान माला का शुभारंभ किया । जिला विकास की धुरी विषय पर संबंधित करते हुए अर्थशास्त्री आशीष कुमार ने कहा कि देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह देश की अर्थव्यवस्था के बारे में जाने । भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2047 में भारत को विकसित देश के रूप में तैयार करने और आने वाले कुछ सालों में भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है । देश की आर्थिक प्रगति जीडीपी के मान से तय की जाती है । इस समय भारत की जीडीपी 8.2% है । निश्चित तौर पर यह जीडीपी दूसरे देश की तुलना में ज्यादा तेज है । इससे स्पष्ट है कि भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है ।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मध्य प्रदेश का योगदान 5 से 6% का है । जो की राष्ट्रीय औसत की तुलना में थोड़ा कम है । इसे बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए । इस समय उत्तर प्रदेश 1 ट्रिलियन इकोनामी को प्राप्त करने वाला राज्य बनने की तरफ बढ़ रहा है । तमिलनाडु सबसे आगे है । महाराष्ट्र में भी बहुत तेजी से प्रयास किया जा रहे हैं । ऐसे में मध्य प्रदेश में अलग कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में प्राइमरी सेक्टर याने की कृषि और खनन से 45% आय अर्जित हो रही है । इसके बाद में सेकेंडरी सेक्टर यानी कि उत्पादन से 18% आय अर्जित हो रही है । जबकि सर्विस सेक्टर में ग्रोथ 36% है । इन आंकडों से यह स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश उत्पादन के क्षेत्र में पिछड रहा है । ऐसे में यहां पर औद्योगीकरण को स्थाई और निरंतर स्वरूप में आगे बढ़ाने की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि इस समय जिलों की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा फर्क सामने आ रहा है । यदि हम मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पर प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से इंदौर में व्यक्ति की आय 1.51 लाख रुपए है तो भोपाल में यह आय 1.40 लाख रुपए है । जबकि मध्य प्रदेश के ही भिंड में यह आय मात्र 66000 रु और झाबुआ में मात्र 68000 रु है । इससे स्पष्ट है कि इंदौर की तुलना में भिंड और झाबुआ में आय आधी है । इस खाई को बढ़ने से हमें रोकना होगा । सरकार को यह कोशिश करना होगी कि इंदौर की तरह ही अन्य जिलों में भी प्रति व्यक्ति आय बढें ।
उन्होंने कहा कि विकास हो या आर्थिक विकास हो, उसकी मूल इकाई जिला ही होता है । इस मूल इकाई को मजबूत बनाए बगैर हम देश का विकास नहीं कर पाएंगे । यदि हमने जिला को अनदेखा किया तो उससे देश में असमानता बढ़ेगी । इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें जिलों को विकास के लिए मुख्य केंद्र बनाना होगा । भारत सरकार के द्वारा जब 73वां और 74वां संविधान संशोधन किया गया था तब नगरीय निकायों को संवैधानिक आधार दिया गया था । उस समय उन्हें बहुत सारे अधिकार दिए गए थे लेकिन यह काम आगे नहीं बढ़ सका । इस बारे में टाटा के मुंबई के सोशल साइंस कॉलेज के द्वारा स्टडी की गई है, जिसमें इस काम के आगे न बढ़ने के कारण पर प्रकाश डाला गया है । जब हम जिले को केंद्र बनाकर राज्य के विकास के लिए काम करने लगेंगे तो देश में समग्र रूप से विकास होना शुरू हो जाएगा । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का स्वागत एनके उपाध्याय और डॉ पल्लवी अढाव ने किया । कार्यक्रम का संचालन माला सिंह ठाकुर ने किया । कार्यक्रम के अंत में अतिथि को स्मृति चिन्ह राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य केके शर्मा ने भेंट किया । आभार प्रदर्शन अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने किया ।

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