इंदौरधर्म-ज्योतिष

चौतरफा अंधकार से घिरे मनुष्य के लिए गीता प्रकाशपुंज की तरह मार्गदर्शक – रामदयालजी

गीता भवन में 65वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ – पहले दिन पानी की बूंद-बूंद बचाने के लिए ली शपथ

इंदौर, । गीता के संदेश कभी पुराने नहीं होते। यह भगवान के श्रीमुख से निर्झर ऐसी निर्मल गंगा है, जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से समूचे मानव जीवन को आलोकित करती है। ज्ञान के समान कोई दूसरी मूल्यवान और पवित्र संपत्ति नहीं हो सकती। ज्ञान श्रद्धा से ही मिल सकता है। गीता शाश्वत चिंतन का अनमोल ग्रंथ है। यह भारत भूमि की पावन धरोहर है। जीवन के सारे संशयों के समाधान कहीं ओर मिलें या न मिलें, गीता में अवश्य मिलेंगे। चौतरफा अंधकार से घिरे मनुष्य के लिए गीता किसी प्रकाश पुंज की तरह मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का अदभुत समन्वय है गीत में। संसार समस्या है, और गीता समाधान।

ये दिव्य विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य, जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज गीता भवन में 65वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। नेमिषारण्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, हरिद्वार के स्वामी सर्वेश चैतन्य, प्रकाश मुनि, गोपाल मुनि, जोधपुर के रामस्नेही संत हरिराम शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, अखंडधाम इंदौर के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप सहित देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों से आए संतों की मौजूदगी में वैदिक मंगलाचरण एवं शंख ध्वनि के बीच समाजसेवी टीकमचंद गर्ग, प्रेमचंद गोयल, हरीश माहेश्वरी, महेशचंद्र शास्त्री ने गीता भवन ट्रस्ट के अध्य़क्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल, राजेश गर्ग केटी के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर इस सात दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ किया। आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में सात दिवसीय विष्णु महायज्ञ का शुभारंभ भी हुआ। प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन एवं मंत्री रामविलास राठी ने ट्रस्ट की गतिविधियों की जानकारी देते हुए सभी संत, विद्वानों का स्वागत किया। संचालन महेशचंद्र शास्त्री ने किया और आभार माना हरीश माहेश्वरी ने। शुभारंभ समारोह में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। आज गीता जयंती के पहले दिन गीता भवन में मौजूद तीन हजार से अधिक भक्तों ने जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज से जल की प्रत्येक बूंद का संरक्षण करने की शपथ ग्रहण की। जगदगुरू ने कहा कि पानी का दुरुपयोग करेंगे तो प्रकृति और परमात्मा, दोनों हमें माफ नहीं करेंगे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!