इंदौर

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों के लिए फायदेमंद है योग – विनी झारिया

– घर में मिलकर योग करें, जिससे बॉन्डिंग और सोशल स्किल्स डेवलप होगी ।

विनी झारिया ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों में योग के फायदों पर चर्चा की

इंदौर। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है, जो बचपन में ही शुरू हो जाता है और जीवनभर बना रहता है। एएसडी से प्रभावित बच्चों को संचार, सामाजिक कौशल और व्यवहार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, बच्चों को लाइफटाइम थेरेपी देना संभव नहीं है । इस स्थिति में योगा एक प्रभावी विकल्प के रूप में उभर कर सामने आ रहा है, जिससे उनके आदतों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यह बात क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा योग दिवस के मौके पर करवाई गई वर्कशॉप में चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट विनी झारिया ने कही एवं बच्चो को योग ट्रेनर हितेश झारिया ने योग करवाया ।

एक्सपर्ट विनी झारिया ने बताया की ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपी की आवश्यकता होती है, जैसे कि स्पीच थेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, और व्यवहार थेरेपी । हालांकि, जीवनभर इन थेरेपी को जारी रखना न तो संभव है और न ही व्यवहारिक। इस स्थिति में वैकल्पिक तरीकों की तलाश महत्वपूर्ण हो जाती है, जो बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इनमें योग एक बेहतरीन विकल्प है। योगा से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह बच्चों को ध्यान केंद्रित करने, आत्म-नियंत्रण में सुधार करने और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है ।

कई रिसर्च से यह पता चला है कि योगा के नियमित अभ्यास से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों की आदतों और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं । योगा के विभिन्न आसन और तकनीकें बच्चों को शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, योगा बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने और सामाजिक संपर्क सुधारने में भी सहायक हो सकता है। इसमें ध्यान, साँस लेने की तकनीकें, और विभिन्न शारीरिक आसनों का समावेश होता है। प्रशिक्षित योग शिक्षक इन बच्चों के लिए विशेष योगा सत्र आयोजित कर सकते हैं, जिससे उन्हें व्यक्तिगत ध्यान और सहायता मिल सके।

ये आसन रहते हैं फायदेमंद –

ताड़ासन – इसे माउंटेन पोज भी कहा जाता है। इस आसन से शरीर का संतुलन और मुद्रा सुधरती है। ताड़ासन का अभ्यास रक्त संचार को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बेहतर होती है।

वृक्षासन – इसे “ट्री पोज” भी कहा जाता है। यह योग का एक प्रमुख और संतुलन आधारित आसन है। वृक्षासन के नियमित अभ्यास से शरीर का संतुलन और स्थिरता सुधरती है। यह आसन शरीर को स्थिर और संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे समग्र समन्वय और संतुलन में सुधार होता है।

वज्रासन – इसे “डायमंड पोज” या “थंडरबोल्ट पोज” भी कहा जाता है। वज्रासन पाचन क्रिया को सुधारने में बेहद फायदेमंद है। वज्रासन ध्यान और मेडिटेशन के लिए एक आदर्श आसन है। यह मन को केंद्रित करने में मदद करता है और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है ।

बालासन – इसे “चाइल्ड पोज” भी कहा जाता है, योग का एक सरल और आरामदायक आसन है। बालासन से मानसिक शांति मिलती है और तनाव और चिंता कम होती है । यह आसन मन को शांत करके एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है । यह थकान को दूर करने में भी प्रभावी है ।

कुछ सुझाव –

–योगासन करने से पहले किसी एक्सपर्ट से इसे अच्छी तरह से सीखें ।

– योगासन के विडियोज बच्चों दिखाएं , जिससे वे जल्दी सीख सकेंगे ।

– बच्चों के लिए योग को गेम और मजेदार गतिविधि की तरह बनाएं ।

नियमित रूप से योग करें ।

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