कला ऊर्जा के साथ साथ आंखों को सुकून भी देता है: डॉ अमित सोलंकी
कला के रंग के समापन पर डॉ अमित सोलंकी ने कलाकारों से चर्चा की
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इंदौर दो दिनी कला प्रदर्शनी कला के रंग का समापन रविवार को हुआ । इसमें 52 कलाकारों की कला प्रदर्शित हुई थी । समापन पर आई स्पेशलिस्ट डॉ अमित सोलंकी ने सभी से परिचर्चा की ।
डॉ अमित सोलंकी ने बताया कैनवास से बेहतर अभिव्यक्ति का माध्यम और क्या हो सकता है । रंगों के साथ हाथों की अंगुलियां जब चलने लगती हैं तो खूबसूरत कृति तैयार होती है , आर्ट या कला ऊर्जा के साथ साथ आंखों को सुकून भी देता है । कलर्स आंखों को चुभते नहीं हैं, बल्कि आंखों को सुकून देते हुए एक खूबसूरत दुनिया की सैर कराते हैं ।
हर आर्ट हमारे आंखों को एक्सरसाइज कराती है जब भी कोई आर्टिस्ट कला को रंगों से उकेरता है तब वो जैसा फील कर रहा होता है उस समय उसकी सोच , पसंद और स्टाइल सब उसकी कला में आता है भले ही उन्होंने प्लान करके वो कला बनाई हो लेकिन आंखों का पूरा इस्तमाल उन्हे करना पड़ता है , कंसंट्रेशन के साथ ।
कुछ साइन जिनसे आप आइडेंटिफाई कर पाएंगे की किसी आर्टिस्ट की आंखों में कोई तकलीफ है या नहीं क्योंकि यह हमे ऑब्जर्व करते रहना होगा –
*स्क्विंटिंग ऑफ आई – पेंटिंग करते समय अपनी आंखे तिरछी करना या अंदर या बाहर की तरफ घुमाना ।
*डिफिकल्टी इन कलर आइडेंटिफाई एंड कंसंट्रेशन – यदि कलर पहचानने या दिखने में तकलीफ आए , कंसंट्रेट न पर पाए या आर्ट ऑब्जेक्ट में फोकस न कर पाएं तो हो सकता है देखने में एरर आ रहा हो ।
*सिटिंग क्लोज – पेंटिंग या ड्राइंग पूरा झुक के करें तो हो सकता है आंखों में नंबर हो ।
*हेड टिल्टिंग – अगर आर्टिस्ट कंसंट्रेट या फोकस करते समय अपने चेहरे हो टिल्ट या शिफ्ट करता है या फिर डबल ऑब्जेक्ट दिखने की वजह से वो अपनी एक आंख को कवर करता है तो हो सकता है उसको रिफ्रेक्टिव एरर हो ।
*रबिंग ऑफ आईज – बार बार रब करना या तो एलर्जी दर्शाता है या चश्मे का नंबर और पेंटिंग करते वक्त खास कर आंखे रब न करें ।
एक सलाह सभी रखिए की दिन में कुछ वक्त अपने कला को ज़रूर दे, कला एक स्ट्रेस बस्टर की तरह काम करता है , इससे आंखों को भी सुकून भी मिलता है , आंखों की एक्सरसाइज भी होती है एवं अलग अलग रंगों को देखने से आई स्ट्रेस लेवल भी कम होता है ।