पर्यावरण संतुलन हेतु लोग हरित भारत, विश्व के निर्माण में सहयोह दें: डेविश जैन

इंदौर। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण तथा तीव्र गति से कम हो रही जैव विविधता दुनिया भर में पर्यावरणीय असंतुलन के प्रमुख कारक हैं। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मानवीय गतिविधियों ने ग्रह को लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर दिया है, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि, लू, सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की स्थिति पैदा हो गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी, सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की स्थिति पांच गुना अधिक हो रही है।
अन्य देशों की तरह, भारत भी हवा और पानी से संबंधित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित है। भले ही हाल के वर्षों में भारत की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन 2022 की भारत की पर्यावरण रिपोर्ट के अनुसार, यह अभी भी दुनिया में सबसे खराब है। भारत वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 7% का योगदान देता है। वनों की कटाई और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग में प्रमुख कारण हैं।
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमेन डॉ डेविश जैन ने देश में पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने हेतु रेड्युस, रीयूज एवं रीसाईकल के मंत्र को अपनाने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने एवं बड़ी संख्या पेड़ लगाने की बात पर बल दिया। उन्होंने लोगों से आवाहन किया कि वे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने हेतु व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से एक हरित भारत एवं विश्व के निर्माण में अपना सहयोग दें।