श्रृंगेरी शंकराचार्य भारतीतीर्थजी का 74वां आविर्भावउत्सव मनाया, चारों वेदों के मंगलमंत्र गूंजे
संत-विद्वान बोले- सर्वोच्च पीठ और सनातन धर्म का मुख्य केंद्र है शारदापीठ श्रृंगेरी

तीन सत्रों में में वैदिक विधि-विधान सें सम्पन्न हुआ आयोजन
इंदौर. श्रृंगेरी शंकराचार्य भक्त मंडल एवम् मध्यप्रदेश ज्योतिष विद्वत परिषद द्वारा शारदापीठ शृंगेरी के जगदगुरू शंकराचार्य श्रीश्री भारती तीर्थ महास्वमीजी का 74वां आविर्भाव उत्सव वैदिक विधि-विधान पूर्वक मनाया गया। संत-विद्वान और ब्राह्मणों के सान्निध्य में तीन सत्रों में यह आयोजन हुआ।
भक्त मंडल के अध्यक्ष आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कार्यक्रम का श्री गणेश विद्वत मंडली द्वारा चारों वेदों के मंगल मंत्र घोष से हुआ। जगद्गुरुजी के चित्र का पंचोपचार विधि से पूजन वीर बगीची के पीठाधीश्वर पवनानंद महाराज एवम् विश्व ब्राह्मण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र महंत (पूर्व मंत्री दर्जा ) से वैदिक विद्वानों ने सम्पन्न कराया। इस मौके पर रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास ,खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट सहित अन्य मठ मंदिरों के पुजारी विशेष रूप से उपस्थित थे। भक्त जनों ने जगद् गुरुजी के चित्र का पूजन अर्चन किया। विद्वान आचायों ने श्रृंगेरी की अविछिन्न आचार्य परंपरा पर विद्वान आचार्यों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शृंगेरी सर्वोच्च शंकर पीठ है जहां आज भी आचार्य परंपरा अविच्छिन रूप से चली आ रही है। चारों शंकर पीठ में सर्वप्रथम श्रृंगेरी की ही स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। भक्त मंडल के प्रदेश अध्यक्ष आचार्य शर्मा वैदिक एवं अतिथियों ने मंगल मंत्र घोष के बीच पूज्य जगदगुरुजी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर जगद्गुरूजी के 74वेें जन्मोत्सव पर स्वस्थ्य दीर्घायुष्य की मंगल कामना की। इस मौके पर पवनानंद महाराज एवम् दीपेश व्यास ने कहा शारदापीठ श्रृंगेरी सनातन धर्म का मुख्य केंद्र है। समारोह में अग्रवाल समाज केंद्रीय समिति के अध्यक्ष राजेश बंसल, समाजसेवी जगदीश गोयल बाबाश्री, राजेश गर्ग, शिव जिंदल, लक्ष्मण माहेश्वरी सहित बड़ी संख्या में भक्त जन, विद्वजन एवम गण मान्य जन उपस्थित थे।