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सरकारी स्कूल की टपकती छत से शुरू हुआ शिक्षा का यह सफर

भाग्यश्री से डॉ भाग्यश्री’ का सफर तय हुआ

सरकारी स्कूल की टपकती छत से शुरू हुआ शिक्षा का यह सफर आज दीक्षांत समारोह तक जा पहुंचा
राज्यपाल मंगू भाई पटेल द्वारा पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुए

इन्दौर। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन 28 वां दीक्षांत समारोह महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल की अध्यक्षता में पूर्ण हुआ। इस मौके पर इन्दौर शहर की बेटी भाग्यश्री खडख़डिय़ा को दीक्षा प्रदान की गई। भाग्यश्री प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व अध्ययनशाला की शोधार्थी है। पिछले वर्ष ही उन्होंने अपना शोध कार्य पूर्ण करके सबमिट किया था।
समाजसेवी मदन परमालिया ने बताया कि सरकारी स्कूल से शुरू हुआ सफर दीक्षांत समारोह तक पहुंचेगा सोचा भी नहीं था। मध्यमवर्गी परिवार में जन्मी, माता-पिता मजदूर थे, इसके अतिरिक्त उनके चार भाई-बहन और है। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के करण भाग्यश्री की शिक्षा सरकारी स्कूल से शुरू हुई और दीक्षांत समारोह में सरकारी महाविद्यालय पर जाकर पूर्ण हुई। जीवन बड़ा संघर्ष में ही रहा लेकिन, अपनी दृढ़ शक्ति एवं माता-पिता के लिए कुछ करने की चाह में उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।
एक समय था, जब उनके पास पढऩे के लिए ना तो किताबें थी और ना ही अच्छा स्कूल। अभाव में गुजारा जीवन उसका स्वभाव बन गया और आज इस मुकाम पर आ पहुंचा। बता दे भाग्यश्री के विषय में एक रोचक तथ्य यह है कि वह इंदौर की रहने वाली है एवं एक ऐसे विषय में समाज सेवा करती हैं जहां कोई महिला सोच भी नहीं सकती। पिछले कई सालों से भाग्यश्री इंदौर में लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार स्वयं करती आ रही है। जिसके लिए उन्हें विश्व रिकॉर्ड भी मिला है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार पांडे द्वारा भाग्यश्री का पूर्व में पहले भी विक्रम अवंती शौर्य अलंकरण से सम्मान किया जा चुका है एवं नारी शक्ति सम्मान इसमें विक्रम विश्वविद्यालय का शामिल है। यह दोनों सम्मान विक्रम महोत्सव के तहत भाग्यश्री के गौरव एवं नारी शक्ति की प्रति समर्पित कहे जाते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर अखिलेश कुमार पांडे ने सम्मानित करते हुए ने कहा कि भाग्यश्री का जितना सम्मान किया जाए कम है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम आपका सम्मान कर रहे हैं। इस मौके पर विश्वविद्यालय के सभी गुरुजन ने भाग्यश्री को बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया। जीवन की इस पूरी यात्रा का श्रेय अपने माता-पिता जिन्होंने विपरीत परिस्थिति में उन्हें पढ़ाया एवं उनके पति और परिवार को देती है। भाग्यश्री का एक 5 वर्ष का बेटा भी है। भाग्यश्री जब गर्भवती थी तब से अपने शोध कार्य को शुरू किया था एवं अपने सेवाओं को जारी रखते हुए उन्होंने समाज में एक मिसाल पेश की है। एक महिला जो परिवार समाज और स्वयं के लिए क्या कर सकती है यही भाग्यश्री का सफर डॉक्टर भाग्यश्री तक पहुंचता है।

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